साहित्य चक्र

15 April 2025

कविता- अटल सच्चाई





जीवन की यही अटल सच्चाई है,
एक रात ऐसी भी होगी आखिर में,
जिसकी सुबह न कभी भी आई है,
जी हां, मौत जीवन की अंतिम सच्चाई है।

अपनों की आंखों में आंसू बन बिखरेंगे हम,
और फिर अपनों की यादों में सिमटेंगे हम।
न जाने कौन सा पल अंतिम होगा,
न जाने, किस पल सबसे बिछड़ेंगे हम।

माना कि मौत अटल सच्चाई है,
लेकिन मरने से पहले,न किसी को मार ये पाई है।
इसलिए मनुज, कुछ काम तूं ऐसे भी कर ले,
मरने से पहले हे मनुज तूं,जी भर कर जी ले।

किसी की आंखों की चमक बन जा,
किसी के अधरों पर खिल जा।
अंधियारे जीवन में,किरण रोशनी की बन जा,
मरने से पहले मनुज तूं, जीवन को अमर कर जा,
प्रेरक पुंज बन कर जग में,जीने को सफल कर जा।

जीवन है, ये जीवन बीत ही जाना है ,
मौत अटल सच्चाई है, जिसे सबको गले लगाना है,
किंतु मरने से पहले, जीवन को सफल बनाना है।
हां ये अटल सच्चाई है,एक दिन मौत को आना है,
लेकिन मरने से पहले, जीवन को अमर बनाना है।


                                          - कंचन चौहान, बीकानेर


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