क्यों मानसिकता सबकी बदल रही
जैसे जैसे बदल रहा है ज़माना
मकसद तो है इनका अशांति फैलाना
घूमने आने का तो है बस एक बहाना
बाइकों पर आते हैं झंडे लगाकर
बहुत तेज होती है इनकी रफ्तार
रोकते हैं जब इनको दिखाते हैं धौंस
करते है बहस और फालतू की तकरार
कुछ अवांछित तत्व कर रहे गलत काम
लगे है करने हम पहाड़ियों को बदनाम
थोड़े से तकरार पर खो देते हैं आपा
निकालते है तलवार देते है पिस्टल तान
हो रहा खराब जिससे आपसी भाईचारा
वादियों में शांत माहौल को कर रहे खराब
कर रहे मुफ्त में कौम का नाम बदनाम
सदियों पुराना सौहार्द क्यों कर रहे बर्बाद
गुरुओं की शिक्षाओं को क्यों रहे छोड़
पब्लिक प्रॉपर्टी से क्यों कर रहे तोड़ फोड़
खुद के गिरेवां में झांक कर देखो जरा
देखा देखी में लगी है नेता बनने की होड़
- रवींद्र कुमार शर्मा
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