साहित्य चक्र

24 April 2025

मेरे इश्क की निगाहों का दर्द







 ये जो तुमने बेवजह 
 बेमतलब का शोर मचा रखा है,
 मुझे तुम्हारे चेहरे पर नजर आ रहा है।

 कितना दर्द है तुम्हारी निगाहों में,
 बताओ मुझे, तुमने इस दर्द को,
 अपने दिल के अंदर धड़कनों में,
 कितने वर्षों से छुपा रखा है,
 बताओ मुझे तुम 
कितने वर्षों से शांत हो,
 चिंता मत करो,
 ये दुनिया वाले,
 नहीं सुन पाएंगे हमारी बातें
 मैंने इन दुनिया वालों को,
 एक तुम्हारे लिए बस
 लोरी गाकर के सुला रखा है।

 इस दुनिया के, किसी  
 समंदर की लहरों ने 
 तुम्हारे साथ बदतमीजी
 की है क्या ?
 सुनो बता दो मुझे आज 
अपने दिल की धड़कनों का हाल
 क्योंकि मैं तो तुम्हें बचपन से,,
 अपने दिल का 
मेहमान बना रखा है।

 जिंदगी तो जिंदा 
और खूबसूरत ख्वाबों का नाम है
 क्या कभी तुमने अपने आप 
को आईने में देखा है,
 ये,,क्या तुमने अपना
 मर्दों सा हाल बना रखा है
 ये जिंदगी जो तुम्हारी
 शमशान हो गई है।
  जर्जर पुराना मकान
 हो गई है।

 मुझे लगता है
  ये,इस दुनिया की बदौलत है
 कोई बात नहीं,
  हम इस बेरहम दुनिया की,
 निगाहों से,
 दूर कही चले जाएंगे,
 न,अब हमें
 ये दुनिया जान पाएगी
 न अब हम बेरहम दुनिया को,
 नजर आएंगे
 तुम्हारा साथ मैं,
 अपनी आखिरी सांस तक दूंगा
 ये वादा है मेरा
 अब तुम्हारी जिंदगी में सिर्फ
 प्यार,मोहब्बत, इश्क
 और खुशियों के
 गुलाब नजर आएंगे।

 क्योंकि तुम मेरी मोहब्बत हो
 और मैंने अब सें,
 तुम्हें खुश रखना हीं,
 अपनी जिंदगी का 
मकसद बना रखा है।

                                       - आकाश शर्मा आज़ाद

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