साहित्य चक्र

19 April 2025

कविता- मां! तेरा जाना





मां तेरा जाना, मुझे अंतर तक खाली कर गया।
मायका क्या, मेरे तो जीवन में खालीपन भर गया।

मां तेरा जाना, मेरी आंखों में पानी भर गया।
मां तेरा जाना,मेरे जीवन में सूनापन भर गया।

मां जब तुम थीं, नहीं पता था , तुम क्या हो।
मेरी हिम्मत, मेरा हौसला, मेरा मायका हो।

मां तेरे बिना सब कुछ सूना,
मेरा अंतर तक खाली कर गया।

मां तेरा जाना, मेरे मन में उदासी भर गया।
व्याकुल मन बस, तुम को ही ढूंढे,
मां तेरा जाना, जीवन में खालीपन भर गया।


                            - कंचन चौहान

1 comment:

  1. मां की जगह जीवन में और कोई नहीं ले सकता

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