साहित्य चक्र

06 September 2020

शिक्षक दिवस पर विशेष रचना


 *शिक्षक साधारण नही प्रकाशमान हैं*
________________________
 
नवाचारों में अग्रणी
सुविचारों का  धनी
इरादों  में हिमालय
ह्रदय  से  प्रशांत
विजय से विक्रांत 
राधाकृष्णन जैसा शांत होता है शिक्षक ।

युधिष्ठिर जैसा धर्मी
भागीरथ जैसा कर्मी 
कर्ण जैसा दानवीर 
अर्जुन जैसा लक्ष्य चीर
चाणक्य जैसा बुद्धिमान होता है शिक्षक ।

पत्थरों में शिल्पकार 
कच्ची मिट्टी का कुम्हार
सूक्ष्मता में स्वर्णकार 
कल्पनाओं से चित्रकार 
समाज का दर्पण होता है शिक्षक ।

इमारतों   में  इबारत 
पत्थरों  मे  पारस
पक्षियों में सारस 
रसों  में  मधुरस 
फलों में श्रीफल 
झरनों में कल-कल
गंगाजल -सा पवित्र होता हैं शिक्षक ।

समरसता  का  प्रतीक
राष्ट्रीय एकता का दीप 
शिष्य के लक्ष्य का पथिक
मोतियों से भरी जिसकी सीप 
ऐसा व्यक्तित्व कोई साधारण नही 
ज्ञान  का  प्रकाशमान होता हैं शिक्षक ।।

                                ✍️ गोपाल कौशल


No comments:

Post a Comment