हर बात पे यूँ हंगामा नहीं किया जाता
प्यास लगने पे समंदर नहीं पिया जाता
बात जिन्दगी की है, सोचना पड़ता है
बेटियों का हाथ यूँ ही नहीं दिया जाता
भूख जब पिघलाने लगती हैं हड्डियाँ
फिर बारिश का पानी नहीं पिया जाता
बच्चे जब करने लगे जिद्द हर बात पे
तो उन को लाके चाँद नहीं दिया जाता
ज़ुल्म जब तक दूसरों पे हो , अच्छा है
जब खुद पे हो, लब नहीं सिया जाता
अपनी अदद पहचान भी जरूरी है
ताउम्र और के भरोसे नहीं जिया जाता
सलिल सरोज
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