साहित्य चक्र

06 September 2020

नवीन जीवन


चलो चलते हैं फिर से
जीवन की तलाश में
किस अजनबी शहर की
अनजान राहों पर।

चलो फिर से बटोरते हैं
उन ख़्वाबों को
जो टूट कर बिखर गए थे
किसी अनजान शख्स की
बिखरी हुई याद में।

चलो फिर से
उन दिलों को
धड़कना सिखाते हैं ,
जो टूट कर बिखर गए थे
मरती हुई
इंसानियत को देखकर।

चलो फिर से
नवीन जीवन की
तलाश करते हुए,
मानव मे सच्ची मानवता के
भाव भरते है।

                            राजीव डोगरा 'विमल'

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