साहित्य चक्र

18 September 2020

कभी तो



तुम ख्वाहिश हो मेरी 
कभी तो मुझे मिला करो।
तुम दुआ हो मेरी 
कभी तो कबूल हुआ करो।
तुम मोहब्बत हो मेरी
कभी तो पूरी हुआ करो।
तुम जहान हो मेरा
कभी तो मुझ पर 
मर मिटा करो।
तुम धड़कन हो मेरी
कभी तो मेरे
दहकते दिल में धड़का करो।
तुम सांस हो मेरी 
कभी तो जीने की 
ख्वाहिश से
मुझ में आया करो।
तुम इश्क हो मेरा
कभी तो तुम
मोहब्बत के बहाने 
मेरे शहर में आया करो।
तुम चाहत हो मेरी
कभी तो मेरे 
अनाहत द्वार को छुआ करो।

                                      राजीव डोगरा 'विमल'


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