अनजानी राहों पर चलना मुश्किल है ।
गिरकर फिर से रोज सँभलना मुश्किल है ।।
जीत मिले तो तय हो जाते हैं सपने ।
लेकिन उगकर फिर से ढलना मुश्किल है ।
मन तैराक नहीं तो सागर लहरों से ।
यूँ टकराकर अभी उछलना मुश्किल है ।।
कोशिश कर लो जंग फ़तेह हो जाएगी ।
हाथ बँधे हों , राह निकलना मुश्किल है ।।
"निश्छल" कर्मों पर रखना विश्वास सदा ।
मगर फ़रेबी घूँट निगलना मुश्किल है ।।
रचनाकार - नवीन गौतम
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