साहित्य चक्र

26 September 2020

न जाने क्यों




न जाने क्यों
खो सा गया है कही
मेरा मन।

न जाने क्यों
मिट्टी सा हो गया है
मेरा तन।

न जाने क्यों
टूट गया है,
उनकी याद में
ह्रदय का हर एक कण।

न जाने क्यों
बिखर गए है,
हर ख्वाब मेरे
फिक्र में उनकी हरदम।

                                                      राजीव डोगरा 'विमल'



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