साहित्य चक्र

18 September 2020

हे परमेश्वर हे दाता....




हे परमेश्वर हे दाता
 हे दया सिंधु प्रदाता 
हे गुण निधान हे मुक्तेश्वर 
 हे निराकार है परमात्मा ।

तू मुक्तिधाम तू शक्तिधाम ,
तू त्रिलोकीनाथ है अमरनाथ 
तू पालनकर्ता तू रचयिता
तू शांति धाम तू परमधाम।

 हे मानव तू चितकार ना कर
 इस देह का तू अभिमान ना कर
 शून्य में था और शून्य में ही मिल जाएगा 
निज मानव हित धरती पर कुछ कल्याण तो कर।
 हे परमेश्वर हे दाता.... 

तुझे प्रेम मिला परिवार मिला 
सुख वैभव का संसार मिला
 तू भूल गया निज मानवता 
तूने प्रकृति का परिहास किया।
 हे परमेश्वर हे दाता... 

तू मूलाधार तू शिष्टाचार 
है जग निधान करुणानिधान 
तू दिव्य चक्षु तू कल्पवृक्ष 
तू आत्मरूप परमात्म रूप ।

हे मानव अब अंधकार मिटा 
सच्चे मानव का फर्ज निभा 
तू भूल गया निज आत्मज्ञान 
अभिमान का अब अवशेष मिटा
 हे परमेश्वर हे दाता..।


                                      किरन पंत 'वर्तिका'


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