सबसे अद्वितीय, सबसे निर्मल,
सबसे अनुपम ,सबसे सरल
वह भाषा जो जोड़े है हम सबको,
एक गलियारा, एक शहर
एक राज्य और एक वतन।।
जिसके हर अक्षर ज्ञान से ,
नित नये शब्द रचे हमने ,
उन शब्दों को पिरो माला में
बोलना,पढ़ना सीखा हमने।
यही वो भाषा है जिसमें माँ,
सुलाती थी लोरी गा कर ।
इसी भाषा में आवाज दे,
साथियों संग खेला करते थे गली-गली।
सोने,चांदी,हीरे,मोती
जैसी है अपनी भाषा ।
सबसे सरल, श्रेष्ठ और सुंदर,
मिश्री सा रस देने वाली,
विश्व पटल पर ,
देश का अभिमान है हिंदी।
संस्कृत और उर्दू की बहन है,
ग्रन्थों का भंडार है हिंदी।
जिस राष्ट्र में रक्खो कदम तुम ,
पहचान तुम्हारी है ये हिंदी।
व्यक्त कर सको स्वतंत्रता से भाव और विचार अपने,
ऐसी अपनी भाषा है हिंदी ।
उठो,सोचो और समझो कि
कितनी जीवनदायिनी भाषा है हिंदी।
लो संकल्प आज हिंदी दिवस पर,
सिर्फ आज ही नहीं अपितु हर दिन बनायेंगे अपना दिवस हिंदी।
तनूजा पंत
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