बड़ी मुद्दत के बाद मैं ना
किसी को अपना बनाया है।
मेरे खुदा!
मत छीन उसको
मेरी दिल की धड़कनों से।
बड़ी मुश्किल से
रिश्तो में डालकर
उसको अपनाया है।
राख तो हो ही जाना है
एक दिन
मिट्टी में मिल कर मैंना।
फिर क्यों?
एक शख्स के लिए
इतना तड़पाया है।
अब क्या ऐब बचा है मुझ में?
मेरे खुदा!
जो एक ज़रा नफरत का
बरसों बाद
फिर से मेरे पास यूं आया है।
ऐ खुदा!
तुझे तेरी खुदाई का वास्ता
तेरे महबूब की
जुदाई का वास्ता।
यू न तड़पा फिर से
बड़ी मुश्किल से किसी को
दिल से अपना बनाया है।
राजीव डोगरा
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश
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