पथभ्रष्ट करेंगे बहुत
न रुकना न थमना।
मन को मनाकर स्वाद
जीत का चखना है।
हौसला रखना है।।
धूप हो उस तरफ
पीठ करो
छाँव हो उधर
चेहरा करो
मेघ में आनंद लो
बिजली से बचना है
हौसला रखना है।
आंखे बंद कर
पहचान खुद को
पहले भी किया
चुकाया सूद को
सब जंचे दूजो से
खुद को जंचना है
हौसला रखना है।।
प्रतीक प्रभाकर
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