साहित्य चक्र

14 December 2019

।।प्यारी बहना।।

कच्चे धागे का ये बंधन अनमोल बहना।
तू है प्यारी - प्यारी ओ मेरी बहना।।

बचपन की वो यादें मुझको ,
अब है खूब रुलाती।
           जब तू तुतली बोली में थी, 
           भैया मुझे बुलाती।।

जिसके पास जो चीज है होती,
कदर नही करते है।
           जिनके ना होती है बहना,
           सावन में वो रोते है।।

अब तुम मुझसे रूठ गई हो,
बहना किसको बोलूँ।
       इस दुनिया के भीड़ में बहना,
       तुम्हें कहाँ मैं ढूँढू।।

तेरे आगे ना चलता मेरा एक कहना।
तू है प्यारी - प्यारी ओ मेरी बहना।।

       सावन में जब बाँधती बहना,
       राखी मेरी कलाई।
 दुश्मन की मुझपर पड़ती थी,
 कभी नही परछाई।।

ऐसे रिश्ते में तू हरदम खुशी से रहना।
तू है प्यारी - प्यारी ओ मेरी बहना।।

         आश निराश के लहरों में,
         जब मैं खो जाता था।
बहन का प्यार मरहम बन,
मेरे काम आता था।।

         मेरे भविष्य की उज्ज्वलता का
        कामना नित तुम करना।
तू है प्यारी - प्यारी ओ मेरी बहना।।

                                ✍गौतम कुमार कुशवाहा




No comments:

Post a Comment