साहित्य चक्र

29 December 2019

माँ ही धर्म है।

माँ सबसे अनमोल है। 
माँ के प्यार का ना कोई तोल है।

माँ सहनशीलता की मूर्ती है। 
माँ ज्ञान का भंडार है। 

माँ ही मेरी किताब है और 
माँ ही मेरा ज्ञान है। 
माँ ही धर्म है। 
माँ ही मेरा आवाम है। 

माँ ही मेरा संगीत है। 
माँ ही मेरी आवाज़ है। 
माँ बिना ये जिंदगी बेआवाज़ है। 

माँ बिना ये संसार मुझे सूना सा लगता है। 
माँ मुझे तेरी गोद में सोना बहुत अच्छा लगता है। 

                                               मनन तिवारी

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