साहित्य चक्र

01 December 2019

आज वो तस्वीर सामने आ गई

"एक पुरानी तस्वीर"

आज वो तस्वीर सामने आ गई,
जब साथ थे हम वो यादे सामने आ गई।
कितने उत्साह से मैंने वो पल सजाया था,
कितनी उम्मीदों से सब अपना बनाया था।

दिन रात इंतजार कर उस लम्हे को पाया था,
कितना खुश थे ना हम ,जब वो नया याराना बनाया था।
महीनों प्लानिंग की थी ,तब जाकर वो सांग बनाया था,
किस तरीके से सरप्राइज करूँगी ये तरीका दिमाग मे आया था।

कितना हसीन पल था जब हमने, 
साथ मे वो लम्हा सजाया था।
आंख भर आती है उसे याद कर,
क्या लम्हा जिंदगी में आया था।

पर आज उस पल,
उस लम्हे के मायने बदल गए।
जो बनना था हमारी जिंदगी का हसीन पल,
वो आज दर्द देने वाले नुमाइंदे बन गए।

कभी सोचा नही था उस पल से भी नजरे चुराउंगी,
जहाँ साथ हमारी यादे हो ,उस याद को मिटाऊंगी।
कभी सोचा नही था,ये यादे भी जहर बन जाएगी,
जिन्हें भूलने के लिए जिंदगी हजार कसमे खा जाएगी।

हा आज बेवजह लगता है मेरा उन लम्हो को सजाना,
हा आज बेवजह लगता है मेरा,तुम्हे अपनी जन्नत बनाना।
हा आज बेवजह लगता है ,उन्हें याद कर आंसू बहाना,
हा आज बेवजह लगता है,यू रो कर भी मुस्कुराना।

खेर उन यादो को तो में मिटा नही सकती,
तुम्हे भूल सकती हूं,पर उन दर्द को नही भूला सकती,

नही जानती तुम क्यों आये थे जिंदगी में,
नही जानती तुम क्यों छाये थे मेरी नजर में।
पर उन यादो के पिटारे को में फिर दफन करती हूँ,
उन बीते लम्हो की कुछ तस्वीरों को,
फिर एलबम में बंद करती हूं।

                                                        ममता मालवीय


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