साहित्य चक्र

21 December 2019

"एक नई सोच"


न कोस अपनी किस्मत को,
क्यों तुझे दर्द मिला।

तू क़ाबिल अगर होगा ,
तो किस्मत को देगा हरा।

बस छोड़ दे उन नुमाइंदो  को,
जो तेरे काबिल नही।

रख भरोसा खुद पर,
तू पाएगा कुछ नया।

देगा खुदा वही ,
जिसका तू सही हकदार है।

बस सब्र का दामन धाम,
अपने कर्म करता जा।

न कोस अपनी जिंदगी को,
क्यो तुझे धोखा मिला।

तू काबिल अगर होगा तो,
खुद के भरोशे का महल देगा बना।

बस छोड़ दे उन नुमाइंदों को,
जो तेरे साथ के लायक नही।

रख भरोशा खुद पर,
तू बस आगे बढ़ता जा।

देगा खुदा वही,
जिसका तू सही हकदार है।

बस सब्र का दामन धाम,
अपने कर्म करता जा।

                                                 ममता मालवीय  


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