एक नया वर्ष
नए वर्ष में नए युग का
संचार होगा ।
नाम होगा वो भी बेनाम होगा ।
और सब शत्रुओं का
संहार भी होगा ।
दौड़ेगी रणचंडी
साथ लेकर कटार तो
महादेव का सिर पर
हाथ भी होगा।
बीत गया जो वक्त छोड़कर
फिर से उसका आगाज होगा।
रुलाते थे जो
इश्क के लिए दिन-रात हमें
मोहब्बत पर हमारी
उनको भी नाज होगा।
छोड़ गया जो हर रिश्ता
मुख मोड़ कर
उनका ह्रदय भी
मिलने के लिए बेकरार होगा।
आएगा नया युग
दौड़ेगे हम पांव में धूल लिए।
हर मंजिल पर
हमारा पाँव होगा।
राजीव डोगरा
No comments:
Post a Comment