साहित्य चक्र

29 December 2019

प्यारे मत भूलना मां-बाप को



मत भूलना मां-बाप को, इन्होंने यह जग दिखाया ।
मत दूखाना इनके दिल को, इन्होंने आज योग्य बनाया ।।

लेना नित दिन शुभाशीष इनकी, प्रगति पथ न रुकेगा ।
देना प्यार सच्चे दिल से, खुशियों से सदा अंगना महकेगा ।।

मंदिर में पत्थर मूर्ती के आगे सिर झुकाते हो ।
आजकल पत्थर दिल बनकर मां-बाप को ठुकराते हो ।।

फिर गीत रामायण, और गीता को गाते हो ।
गंगा यमुना नहाने में, भी लाखों लगाते हो ।।


यज्ञ हवन अर पूजा पाठ, लाख यत्न तुम करते हो ।
दिल दुखाके आसूंओ से, मां-बाप की आंख भरते हो ।।

इन धन दौलत से, तुम सब कुछ खरीद कर ला सकोगे ।
पर धन दौलत से मां-बाप अपने न दुबारा ना पाओगे ।।

मां-बाप को खुदा-भगवान, मानकर सेवा तुम करलो ।
इनके अनगिनत आशीर्वादों से, दुआओं की झोली भरलो ।।

मां-बाप को भूलकर भी, ना कभी ठुकराइये ।
"रावत" इनके अनमोल आशीर्वाद दुआएं पाइये ।।


                                      - सूबेदार रावत गर्ग उण्डू 


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