साहित्य चक्र

09 August 2020

चलो अयोध्या धाम



चलो अयोध्या धाम,
विराजेंगे  अपने    श्रीराम।

कभी  राम झुठलाये जाते।
नकली चरित बताये जाते।
आतंकी बाबर के सम्मुख-
मनगढ़ंत  कहलाये   जाते।।

कैसी भी हो रात, 
किन्तु होती है सुबह ललाम।

वंशज   बहुधा जीते - हारे।
अनुयायी  के   वारे - न्यारे।
रक्तपात  के छद्म खेल में -
रामभक्त तन मन धन वारे।।

हुआ बहुत बलिदान, 
साक्ष्य है पावन सरयू धाम।

राम  अदालत  में  भी   आए।
साक्ष्य - साक्षी  भी  थे   लाए।
अधिवक्ता बन सच दिखलाए।
न्यायमूर्ति - उर  स्वयं समाए।।

जय जय जय श्रीराम, 
अवधपति अवध नयन अभिराम।

                               डॉ अवधेश कुमार अवध


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