*अलविदा... राहत इंदौरी साहब*
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इंदौर की शान था वह सबकी चाहत था
माँ भारती की करता वह इबादत था ।
कहता था पेशानी पर हिंदुस्तान लिख देना
गजलों का बादशाह वह राहत इंदौरी था ।।
शायरी मायूस हैं मुस्कराहट का ऐसा जादूगर था
वाह,वाह करते थे श्रोता ऐसा राहत इंदौरी था ।
किसी ने सोचा न था कि यूं छोड़ चलें जाएंगे
दिया मोहब्बत का पैगाम, वो राहत इंदौरी था ।।
शायरी से लोगो को मोहित कर देता था
दर्द बयां कर नेह को सरोवर कर देता था ।
काव्य पुत्र था वह, शायरी का सरताज रहा
देश का अभिमान था, वो राहत इंदौरी था ।।
✍️ गोपाल कौशल
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