भारतीय क्रिकेट के मशहूर क्रिकेटर और कैप्टन कूल, एमएसडी के नाम से जाने जाने वाले महेंद्र सिंह धोनी ने 15 अगस्त 2020 को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से अलविदा ले लिया है। करीब 2004-05 के आसपास महेंद्र सिंह धोनी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आए, उस वक्त भारतीय क्रिकेट को विकेटकीपर बल्लेबाज की सख्त जरूरत थी। भारतीय टीम 2003 का वर्ल्ड कप फाइनल में हारी हुई थी। उस वक्त भारतीय टीम की कमान सौरभ गांगुली के हाथों में थी। सौरव गांगुली बेहद ही आक्रमक स्वभाव के बल्लेबाज और कप्तान थे। सौरव गांगुली ने ही भारत को विदेशों में जीतने के लिए प्रेरित किया। सौरव गांगुली ने टीम इंडिया को घर के शेर से बाहर का शेर बनाया है यानी पहले भारतीय टीम को घर का शहर कहा जाता था।
सौरव गांगुली ने भारतीय क्रिकेट टीम में वह ऊर्जा भरी है, जिसका परिणाम 2011 वर्ल्ड कप जीतकर समस्त देशवासियों को मिला है। जब महेंद्र सिंह धोनी की एंट्री हुई तो उस समय भारतीय क्रिकेट बोर्ड नए-नए युवाओं को आजमा रहा था। धोनी अपने पहले ही मैच में रन आउट हो गए, जो इन्होंने 2004 में बांग्लादेश के खिलाफ खेला था। मैंने 2007 विश्वकप के बाद 2011 विश्वकप के फाइनल तक लगभग भारतीय क्रिकेट टीम के सभी मैच देखे हैं। महेंद्र सिंह धोनी को 2007 में भारतीय क्रिकेट टीम की कमान सौंपी गई। जिसका परिणाम पहला 2020 विश्व कप जीतकर समस्त देशवासियों ने खुशी मनाएं। धोनी के अंदर वह सब कुछ था जो भारतीय टीम को चाहिए था। एक विकेट कीपर बल्लेबाज और एक फिनिशर जो मैच के अंतिम क्षणों तक मैच को अपने हाथों में रखें। इसके अलावा 2007 विश्व कप में भारतीय टीम का बहुत ही बुरा हाल हुआ। जहां कप्तान राहुल द्रविड़ ने कप्तानी छोड़ दी और बड़े-बड़े दिग्गज ने संयास ले लिया। किसे मालूम था कि महेंद्र सिंह धोनी भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी संभालेगा और 2011 में भारतीय क्रिकेट टीम को विश्व कप जीतेगी।
मैंने अपने जीवन काल में अब तक जितने मैच देखे हैं, वह सभी मैच मैंने सिर्फ धोनी के लिए देखे हैं। धोनी मुझे इसलिए अच्छा लगता है- एक जीत के बाद कभी भी आगे नहीं आना, हार के बाद पूरी जिम्मेदारी लेना, ग्राउंड में बिल्कुल शांत रहना, अपने दम पर मैच जीताना, नई नई रणनीति बनाना इसके अलावा मुझे धोनी का खेलना इतना अच्छा लगता है जिसे मैं कभी भी इस जन्म में नहीं भूल सकता हूं। विश्व कप का वह छक्का जब तक मेरे शरीर में प्राण है तब तक मैं उस छक्के को कभी नहीं भूल सकता हूं। भले ही धोनी ने अपने क्रिकेट कैरियर में शतक कम बनाए हो, मगर वह जिस स्थान पर खेलते थे वहां पर शतक बनाना बहुत ही कठिन होता है। हर क्रिकेट टीम में ही चाहती है कि उसके शुरू के तीन बल्लेबाज अच्छा खेलें। जबकि धोनी छठे और सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करते थे, हां शुरुआती दौर में उन्होंने तीसरे नंबर पर भी बल्लेबाजी की है। मगर मुझे ऐसा लगता है कि धोनी छठे और सातवें नंबर पर जो बल्लेबाजी करते थे, शायद ही विश्व में कोई और कर सकता है। 50 ओवर विकेट कीपिंग करना, पूरे मैच को अपने हाथों में रखना और उसके बाद बैटिंग करना यह कोई धोनी से सीखें। धोनी का भारतीय टीम में जो योगदान रहा है, उसे इतिहास में कभी भी नहीं भूला जा सकता है। धोनी ने भारतीय क्रिकेट टीम को रोहित शर्मा, विराट कोहली, सुरेश रैना, रविंद्र जडेजा और आर अश्विन जैसे खिलाड़ी दिए हैं। हां मैं एक बात आपको बता दूं धोनी के बेहद खास और भरोसेमंद खिलाड़ी में से एक सुरेश रैना ने भी 15 अगस्त 2020 को संयास ले लिया है।
महेंद्र सिंह धोनी को हमेशा याद किया जाएगा इसलिए क्योंकि उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम को जिन जिन परिस्थितियों में जो जो मैच जिताए हैं, शायद ही भारतीय क्रिकेट टीम को ऐसा फिनिशर दोबारा मिल पाएगा। महेंद्र सिंह धोनी आप हमेशा हमारे दिलों में याद रहोगे। भले ही आप ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया हो, मगर जब जब हम क्रिकेट देखेंगे तब तब आपको हम जरूर याद करेंगे। आपकी विकेट कीपिंग करने का स्टाइल और मैच को अपने हाथों में रखने का हुनर शायद ही आपसे कोई सीख पाया हो। महेंद्र सिंह धोनी जब जब हम क्रिकेट की बात करेंगे तो आप बहुत बहुत बहुत याद आओगे। आई लव यू धोनी...! आई मिस यू धोनी...!
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