साहित्य चक्र

08 August 2020

जानते तो आप भी हैं- नाजायज रिश्तों की बैसाखी पर ही खड़ा है हर धर्म, मगर आप बोलते नहीं हो।


नोट- यह लेख किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं लिखा जा रहा है, बल्कि कुछ धर्मग्रंथों में लिखी हुई बातों को आपके सामने उजागर करने का कष्ट कर रहा हूँ।

कोई नहीं..! हम भी बता देते है- क्या कभी आपने धर्म के नाजायज रिश्तों पर गौर किया है या नहीं। शायद ही नहीं किया होगा। चलिए यह शुभ कार्य हम भी कर देते है- कुछ ग्रंथों के अनुसार ब्रह्मा जी की उत्पत्ति विष्णु जी की नाभि से हुई थी, मगर आपने आज तक सोचा नहीं कैसे हुई होगी ? उसके बाद ब्रह्मा जी ने पूरे पृथ्वी की रचना की, मगर समझ नहीं आता कि देशों के लोग अलग क्यों है और वहाँ दूसरा धर्म कैसे है ?

कहां जाता है- जब ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना कर रहे होते है तो तब वह अपनी पुत्र सरस्वती पर आसक्त हो जाते है। जिसके बाद वो अपनी बेटी सरस्वती को संबंध बनाने के लिए मनाते लगते है, मगर सरस्वती जी इस अनैतिक रिश्ते के लिए नहीं मनती है। जिसके कारण वह आकाश में छुप जाता है। इसके बाद ब्रह्मा जी उन्हें ढूंढकर जबरन अपनी पत्नी बनाते हैं। यानि अनैतिक रूप से शादी करते है और संबंध बनाते है। इस कथा को आप मत्स्य पुराण में पढ़ सकते है। इसी कारण ब्रह्मा को श्राप भी दिया गया होता है।

पुराणों के अनुसार ब्रह्मा जी की संतानों का अलग-अलग वर्णन हैं। शायद यह लोगों को भ्रमित करने के लिए किया गया हो। जिसका फायदा कोई विशेष वर्ण को मिलें। अगर आप धर्मग्रंथों का अध्ययन करते रहेंगे, तो आप इतने भ्रमित हो जाएगें कि आपको कुछ भी समझ नहीं आएगा। आखिर किसे सत्य माने औऱ किसे झूठा। मैं इस बात को जोर देकर कहता हूँ कि इन ग्रंथों का सत्य किसी को भी मालूम नहीं होगा। चाहे कोई कितना ही दावा क्यों ना करें।

अग्नि पुराण में ब्रह्मा जी के 6 पुत्र- मरीचि, आत्रि, अंगीरा, पुलत्स्य, पुलह, क्रतु, वशिष्ठ का वर्णन है। इसके बाद ब्रह्मा जी ने अपने शरीर के दो भाग किए जिसमें आधे से पुरुष और आधे भाग से स्त्री पैदा हुई। मेरी समझ मैं नहीं आया कैसे हुई होगी। आप भी थोड़ा कल्पना कर सकते है। अगर समझ आया तो मुझे भी कमेंट करें। इसके बाद स्त्री के गर्भ से ब्रह्मा जी ने सृष्टि की उत्पत्ति की। ब्रह्मा के शरीर के उत्पन्न स्त्री व पुरुष मनु और शतरुपा कहलाए। इन दोनों की तीन संतानों हुई। जिसमें 2 पुत्र- उत्तानपाद व प्रियव्रत और एक पुत्री- देवहूति है।

जबकि श्रीमद्भागवत महापुराण के तृतीय स्कंध व बारहवें अध्याय के अनुसार ब्रह्मा जी ने अपने मन से 11 पुत्रों- मरीचि, आत्रि, अंगीरा, पुलत्स्य, पुलह, क्रतु, भृगु, दक्ष, वशिष्ठ, नारद, धर्म को उत्पन्न किया। उसके बाद ब्रह्मा जी ने अपने शरीर के दो भाग किए। जिससे एक पुरुष व एक स्त्री उत्पन्न की। उसी स्त्री के गर्भ से सृष्टि की उत्पत्ति हुई। इन दोनों को शतरुपा व मनु कहा गया है। इन दोनों के दो पुत्र- प्रियव्रत, उत्तानपाद व तीन पुत्री- देवहूति, आकूति, प्रसूति हुई। यानि अग्नि पुराण में कुछ और इस महापुराण में कुछ और लिखा गया है। अब आपकी मर्जी है जिसे सत्य मानना हो। हाँ इसी प्रकार से गरुड़ पुराण में भी वर्णित है।

कुर्मपुराण, लिंग पुराण, मार्कण्डेय पुराण के अनुसार- ब्रह्मा जी ने अपने मन से 9 पुत्रों को उत्पन्न किया था। जिसके बाद मनु व शतरुपा के दो पुत्र व दो पुत्रियों का वर्णन मिलता है। ध्यान देना इन पुराणों में मुन-शतरुपा की संतानों की संख्या अलग है। इसलिए सवाल तो बनेंगे ही तो पूछता हूँ- आखिर पुराणों में भी अलग-अलग वर्णन कैसे हो सकता है ? मान लेते है- यह सभी पुराण अलग-अलग समय पर लिखें होगे, तो फिर सत्य क्या है ? अगर पुराणों में एकरूपता नहीं हो तो फिर विश्वसनीयता पर सवाल करना लाजमी है।

अगर ब्रह्मा जी ने मनु और शतरुपा को अपने शरीर से उत्पन्न किया तो फिर मनु और शतरुपा सगे भाई-बहन हुए, तो फिर उनकी संतानें कैसे हो सकता है ? अगर सरस्वती जी ब्रह्मा जी की बेटी थी तो फिर ब्रह्मा जी ने उनसे शादी क्यों की होगी ? ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की मगर उनके ना से एक भी दिन का व्रत व पूजा, मंदिर क्यों नहीं बनते है ? धार्मिक ग्रंथों के अनुसार स्वयंभू मनु ने ही मनुष्यों की उत्पत्ति हुई है। जिसे ब्रह्मा की संज्ञा भी दी गई है।

अगर स्वयंभू मनु जी से मनुष्यों की उत्पत्ति हुई है तो फिर ब्रह्मा ने कैसे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्रों की उत्पत्ति की होगी ? क्या आपके पास हैं मेरे सवाल का जवाब..?

धर्मग्रंथों के अनुसार- स्वयंभू मनु और ब्रह्मा में बहुत बड़ा भेद पैदा होता है। स्वयंभू मनु से पहले ब्रह्मा जी ने जो सृष्टि उत्पत्ति की वो तो मन से की है, परन्तु ब्रह्मा के मानसपुत्र स्वयंभू मनु के मैथुन द्वारा ही सृष्टि का सृजन हुआ है ऐसा कई पुराण कहते है। अब बताओ आप किसे सत्य व झूठ मानोगें..? एक सवाल और है- वेदों में सत्य मानूं, पुराणों को मानूं या फिर श्रीमद्भगवत गीता को मानूं या अन्य धार्मिक शास्त्रों को मानूं ?

                                                        लेखक- मदिरा


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