हां मैं कवि हूं।
मुझे सिर्फ लाइक और कमेंट ही
अपनी कविता में पसंद आते हैं।
लोगों की आलोचनाएं झेलने का
मेरे अंदर वह साहस नहीं है।
हां मैं कवि हूं।
मुझे बस स्त्री का वर्णन करना
बहुत अच्छा लगता है।
इसी को लोग पढ़ना चाहते हैं।
तो फिर मैं क्यों ना लिखूं..?
हां मैं कवि हूं।
दीपक मदिरा
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