जिन्दगी की राह है बड़ी कठिन ,
यू आसानी से मिलती नही मंजिल,
होते हुए भी काबिल ,
मुश्किलों से घबरा ,
वापस लौट जाते हैं लोग।
इक दिन तो दुनिया से चले जाना ही,
है लेकिन, पैसों और झूठे दिखावे के,
चलते मरने से पहले ही यहाँ ,
हताश हो कर मर जाते हैं लोग।
कदम कदम पर है धोखा,
कदम कदम पर मनोबल गिरते हैं लोग,
जब खुद का मतलब रहता है तो
पैरों पर भी गिर जाते हैं लोग।
रिश्तों में ना रही ,
पहले जैसी मिठास,
ना ही वो अपनेपन वाली बात,
बस स्वयं को व्यस्त बता,
औपचारिकता निभाने मे लगे है लोग।
आज के इस दौर में ,
बडों की नसीहत से ज्यादा,
गूगल पर भरोसा कर खुद को,
तीसमारखां समझने लगे हैं लोग।
सीमा भावसिंहका
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