जिंदगी एक संघर्ष है
यहाँ हर दिन एक नया दिन है।
खुद को हराकर जितना ही
असली जीत है जिंदगी की।
आज पैर देश जूझ रहा है जीवन के लिए।
महामारी पैर पसारे खेल रही नित जीवन से।
खत्म हुए रोजगार और व्यापार है।
खत्म आज नए आयात और निर्यात है।
कैद हो गए इंसान घरों में
बढ़ती समाजिक दूरी से बेहाल है।
पर जितना इस काल मे
लिखना संघर्ष की एक नई कहानी को।
जितना हर हाल में इस बीमारी को।।
संध्या चतुर्वेदी
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