साहित्य चक्र

16 August 2020

रिमझिम -रिमझिम




रिमझिम- रिमझिम
आओ फूहारों ,
मीठे गीत सुनाओं फुहारों।

प्यारी-प्यासी इस धरती पे।
प्रेम का जल बरसाओं फूहारों।।

रिमझिम - रिमझिम
आओं फूहारों।

धान के खेत की आस पूजादों।
पपीहे-चातक की प्यास बुझादों।

प्रेमी-मन भीगे संग-संग।
पुलकित सपनों को,
आस बंधा दो।

रिमझिम रिमझिम 
आओं फूहारों।।

मिलन के राग, 
सुनाओं फूहारों।

सा -रे -गा -मा को
सुरों में भरके।
मचले मन में,
तरंग उठाओं।

बचपन भी ,
भूलकर सारे बंधन।
कहों .......आ के
कागज़ की नाव चलाओं।


सबकी आंखों में,
उल्लास बन छा जाओं।
सूखी धरा हरी -भरी  कर जाओं।

रिमझिम -रिमझिम 
सावन आओं।।

        
                                प्रीति शर्मा"असीम"


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