साहित्य चक्र

09 August 2020

मै लिखूंगी ....जब तक हूँ

मै लिखूंगी , जब तक हूँ  , मै लिखूंगी ,
मै अपने सारे अल्फ़ाज लिखूंगी 
सरगम के सातो साज लिखूंगी 
बीता कल आगामी आज लिखूंगी 
मै लिखूंगी ,जब तक हूँ मै लिखूंगी ,,


मै मंदिर की घंटियों से चर्च की शांत आवाज लिखूंगी 
मै मस्जिद की अजान से गुरुद्वारे की अरदास लिखूंगी ,
हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई , मै सारी ज़ात लिखूंगी 
धर्मों के बंटवारे की मै एक एक बात लिखूंगी ,,
मै लिखूंगी ......


मै भारत माँ की आन - बान - शान लिखूंगी 
मै ये पूरा हिन्दुस्तान लिखूंगी ,
देशप्रेमियों के प्रेम की सौगात लिखूंगी 
मै देशद्रोहियों की भी औकात लिखूंगी ,,
मै लिखूंगी ......


मै धरती पर अम्बर की  सूखी सी बरसात लिखूंगी .....
मै उंचाई पर्वत की और सागर की प्यास लिखूंगी ,
मै बांसुरी कृष्ण की और राम का वनवास लिखूंगी 
मै वर्तमान का इतिहास लिखूंगी ,,
मै लिखूंगी ......


मै द्वेष प्रेम और प्रीती लिखूंगी 
मै दुनिया के रिवाज और रीति लिखूंगी ,
मै हज़ारो हार पर एक जीत लिखूंगी 
मै ऋतुये सारी बरखा सावन शीत लिखूंगी ,,
मै लिखूंगी ......


मै बड़ी बड़ी बातो का छोटा सा सार लिखूंगी 
मै प्रेम मानवता का और ईश्वर की जय जयकार लिखूंगी ,
मै जन्म से मृत्यु तक के सारे ही किरदार लिखूंगी 
नहीं रुकुंगी अब मै ....बार बार लिखूंगी ...बार बार लिखूंगी ,,
मै लिखूंगी ...जब तक हूँ ...मै लिखूंगी ......

               

                                    Anshiki Tripathi

 

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