मां तो मां ही होती है
माँ जैसा दुनिया में कोई और नहीं है
सच तो कहा है किसी ने
मां तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी ?
मां, ममता दया, करुणा, सवेदना,
भावना ,और प्यार की देवी है।
मां ,प्यार, त्याग व तपस्या की मूरत होती है
मां अपनी संतान की खुशी के लिए अनेको कष्ट सहती है।।
मां, अपने दर्द को भूलाकर
संतान के चेहरे पर मुस्कुराहट के लिए तरसती है।
मां,अपने अरमानों भावनाओं को मार देती है।।
मां,तुमने संतान की खातिर अपनी रातों
की नींद दिन का सुकून खो देती है।।
मां,अपने खून से सींच कर संतान को दुनिया में लाती है।
मां, की बस इच्छा होती है उसकी
संतान जीवन में प्रगति के पथ पर अग्रसर रहे।।
मां, संतान से केवल यही चाहत करती है,
कि वो प्यार से केवल मां कहकर पुकारे।
मां, की यह चाहत क्या गलत है ?
मां की ममता,प्यार,दर्द,त्याग और
भावनाओं,को संतान क्यों भूल जाती है ?
मां, कभी संतान का बुरा नही सोचती
फिर मां के लिए संतान क्यों नही सोचती ?
मां सन्तान को बोझ क्यों लगने लगती है ?
मां, को संतान क्यों वृद्धाश्रम छोड़ आते है?
संतान होकर अपने फर्ज से विमुख हो रहे हो।
कल तुम्हारी संतान से तुम भी उम्मीद नही करना।।
मां, तो ईश्वर का स्वरूप है।
मां,के आंचल में जो सुकून है वो कही नही
मां तो मां ही होती है।।
मां तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी ?
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।।शम्भू पंवार।।
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