ढाई आखर लिख लेना*
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मीरा औऱ कबीरा की
बातें चित में रख लेना ।
मन के कोरे कागज पर
ढाई आखर लिख लेना ।।
ये तन माटी का नश्वर
प्रेम अमर और निरन्तर
जाना पनघट जब गोरी
नेहिल गागर धर लेना
मन के कोरे कागज़ पर
ढाई आखर लिख लेना ......!!
हटा चुनरिया आ जाओ
सागर बूँद समा जाओ
जब साँसों में हो स्पंदन
चिर समर्पण कर लेना
मन के कोरे कागज़ पर
ढाई आखर लिख लेना ...!!
भाव गीत में जब ढालो
स्वर आलिंगन कर डालो
मधुर नयन की चितवन से
महक हृदय में भर लेना
मन के कोरे कागज़ पर
ढाई आखर लिख लेना ...!!
रागिनी स्वर्णकार(शर्मा)
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