साहित्य चक्र

15 June 2019

मजहब नहीं सिखाता




मजहब नहीं सिखाता क्रूरता का पाठ
चाहे वो हिन्दू हो या फिर हो मुसलमान।

ओ नई सदी के धर्म के नए ठेकेदारों
सुनो बेटियों को धर्म में ना बांटो।

वो आसिफा थी या थी  ट्विंकल शर्मा
उसे राजनीति के दल-दल में ना फांसों।

हत्यारा हिन्दू हो या मुस्लिम या हो सिक्ख ईसाई
बेटियों की न्याय खातिर उसे दो फांसी चढ़ाई।

हैवानों पतितो का नहीं होता है कोई धर्म
क्यूंकि धर्म नहीं सिखाता आपस में कोई बैर।

धर्म के नाम पर आपस में ना लड़ो कोई
सबके ईश्वर एक है,नाम है सबके अनेक।

हां मिन्नतें है मेरी पढों तुम मानवता की पाठ
इंसानियत की राह पर चलो ताकि मिले बेटियों को न्याय।

अरे वो जल्लादों कैसे किया तुमने 
हैवानियत की सारी हदें पार।

तेरी एक क्रूरता की खातिर
हो रही मानवता शर्मसार
हो गई है मानवता शर्मसार।

                                              अभिलाषा मिश्रा आकांक्षा



No comments:

Post a Comment