साहित्य चक्र

20 June 2019

योग हमारी परंपरा...!



सदियों से देखा अंबर ने
है सदियों से साखी धरा
पतंजली जी की दुआ है इसमें
योग हमारी परंपरा 
ये विधा हमारी संस्कृति
है ये हमारा संस्कार 
कई रोगों का ये शत्रु 
रामबाण सा उपचार
मानव जीवन पर सदियों से
है़ं इसके उपकार बहुत
इसके सेवन से देह में होता
ऊर्जा का संचार बहुत
इसने बनाए धैर्यवान
कई उन्मादी लोगों
जनजीवन से दूर किया है
कई अनसुलझे रोगों को
बसा है इसमें आध्यात्म भी
और बसा इसमें विज्ञान
ऋषि मुनियों के तप से निकला
योग बड़ा सुन्दर वरदान
जो दूर रखे दुर्व्यसनों से
ये तत्व है ऐसा हितकारी
अब इसकी महिमा को मान रही
धीरे -धीरे दुनिया सारी
आओ मिलकर इसकी महिमा
का और विस्तार करें
जहां तलक संभव हो पाए
हम इसका प्रचार करें
जिस दिन से जग के हर घर में 
प्रचलन योग का शुरु हुआ
अपना भारत उस दिन से ही
समझो विश्वगुरु हुआ

                                                     विक्रम कुमार



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