भारत माता का मस्तक अब और उठाना नेताजी
शपथ लिया है तो निष्ठा से उसे निभाना नेताजी
जनकल्याण की बातों को ,वादों को सुनकर भेजा है
जनता ने कई उम्मीदों से नेता चुनकर भेजा है
नहीं उठाना लाभ कभी जनमन में छुपी शराफत की
कभी नहीं उडा़ना खिल्ली लोकतंत्र के ताकत की
जो वादे जनता से हैं वे सभी निभाना नेताजी
शपथ लिया है तो निष्ठा से उसे निभाना नेताजी
जनता की आवाजों को सेवक बनकर के सुनना
भय,क्रोध और लालच की राहें बिल्कुल भी मत चुनना
राग-द्वेष की परंपरा को महिमामंडित ना करना
लोकतंत्र के धवल दंड को कभी विखंडित मत करना
दुरुपयोग कर कुर्सी का , न लाभ उठाना नेताजी
शपथ लिया है तो निष्ठा से उसे निभाना नेताजी
भारत मां के गद्दारों से कोई समझौता मत करना
वोटबैंक की राजनीति के चक्कर में मत पड़ना
बदले में विश्वास के , जनता को छलावा मत देना
भाई-भतीजावाद को अब और बढा़वा मत देना
जनता के एक एक वोट का मान बढा़ना नेताजी
शपथ लिया है तो निष्ठा से उसे निभाना नेताजी
वीर पुरोधाओं ने अपना तन- मन सौंपा भारत को
विश्वगुरु के सपने देखकर जीवन सौंपा भारत को
गांधी के , बाबा साहब के उन सपनों को बल देना
संविधान को अपने मन के मंदिर में स्थल देना
विश्वगुरु की राह पे पूरा भारत ले जाना नेताजी
शपथ लिया है तो निष्ठा से उसे निभाना नेताजी
शपथ लिया है तो निष्ठा से उसे निभाना नेताजी
विक्रम कुमार
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