साहित्य चक्र

01 June 2019

अपशब्द सुनकर....!

प्रेम एक अनुभूति’

“ मन की व्याकुलता को 
  जो नहीं छिपा पाता है
  वह हैं प्रेम ।

 अपशब्द सुनकर भी 
 कदम ठहरे रहे वह हैं 
 आत्मिक प्रेम ।

 वाणी की कटुता से
हृदय आह्लादित न हो 
वह हैं प्रेम ।

सौम्य वाणी की एक ध्वनि मात्र से
बेतहाशा सुख  की अनुभूति हो
वह हैं प्रेम।

वर्षों की प्रतीक्षा में 
वियोगरत होकर भी
उम्मीद स्थिर हो
वह हैं प्रेम।

शब्द न हो मिलन पर
आंखे सजल हो
छू न सके कोई उस 
आलौकिक मिलन को
वह हैं प्रेम ।” 



                            रेशमा त्रिपाठी 


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