"गीत गाते अक्षर" मनोज कुमार शिव द्वारा रचित एक ऐसी महकती पुष्प वाटिका है, जहां हर शब्द एक खिलता हुआ फूल है और कविता एक खिलती हुई कली। कवि ने इस संग्रह में नन्हे बालमन के लिए एक ऐसा काव्य लोक रचा है, जो ज्ञान, भाव और मनोरंजन का संगम है और बाल हृदय की नाजुक भावना, जिज्ञासा और कल्पना शक्ति को सजीव रूप में प्रस्तुत करता है।
इस संग्रह की सबसे खास बात यह है कि इसमें कुल 66 कविताएं हैं जो जीवन के विविध पक्षों को बड़ी सहजता से समेटे हुए हैं- जैसी प्रकृति ,विज्ञान, स्वास्थ्य, देश प्रेम ,पर्यावरण, नैतिक मूल्य, मौसम, संस्कार और रिश्ते। हर कविता का एक नया अनुभव है--कहीं पेड़ की छांव में प्रकृति प्रेम की झलक, कहीं कंप्यूटर अंकल से टेक्नोलॉजी का परिचय मिलता है कहीं बारिश की फुहारों से बच्चों की किलकारियां सुनाई देती हैं तो कहीं "बापूजी" जैसी कविता से आदर्श का पाठ।
बाल काव्य संग्रह की पहली कविता "चारपाई" एक सरल लेकिन भावनात्मक रूप से समृद्ध कविता है, जो पारंपरिक भारतीय जीवन शैली में चारपाई के महत्व को उजागर करती है। चारपाई को केवल एक वस्तु ही नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर की तरह प्रस्तुत किया गया है-
"चारों पैर इसके एक साथ हैं भार उठाते
एकता में बल है, मानो हमें सिखलाते "
"चारपाई है बढ़ाती घर आंगन की शान
हमारी संस्कृति, सभ्यता की यह पहचान "
" कंप्यूटर अंकल" कविता आधुनिक तकनीक और कंप्यूटर की बुद्धिमत्ता पर केंद्रित है। कवि ने कंप्यूटर को असाधारण स्मरण शक्ति, गणना और मार्गदर्शक बताया है। प्रश्नात्मक शैली का प्रयोग बच्चों को सोचने पर मजबूर करता है। निश्चय ही जो प्रश्न बच्चों के मन में उठते हैं इन्होंने बड़ी सजीवता से दर्शाये हैं-
"हर बात तुम्हें याद है कैसे रहती?
हर पहली तुमने चुटकी में सुलझाई।
आखिर कौन है तुम्हें सिखाने वाला?
किसके पास तुमने ट्यूशन लगवाई?"
"घर का खाना" कविता बच्चों को स्वास्थ्य वर्धक भोजन की ओर प्रेरित करती है और साथ ही हमारी पारंपरिक खान-पान संस्कृति को भी आदर पूर्वक
सामने रखती है-
"दालें और अनाज प्रोटीन से भरपूर
हरी पत्तेदार सब्जियां खाओ जरूर
दूध उत्पाद कैल्शियम के लिए मशहूर
मदिरा, तंबाकू से रहना हमेशा दूर"
"यातायात के नियम" कविता बच्चों के लिए अत्यंत उपयोगी रोचक और ज्ञानवर्धक रचना है। यह कविता सिखाती है कि सड़क पर अनुशासन और सतर्कता से हम अपने और दूसरों के जीवन को सुरक्षित रख सकते हैं। यह बाल कविता न केवल स्कूली पाठ्यक्रम में बल्कि जीवन की पाठशाला में भी अत्यंत उपयोगी है-
"लाल बत्ती दिखे तो वहीं रुक जाओ
बिल्कुल भी ना कोई जल्दबाजी दिखाओ
पीली बत्ती कहती कि करो थोड़ा इंतज़ार
चलने के लिए ख़ुद को कर लो तैयार
हरी बत्ती जले तो समझो चलना है
आवारा जानवरों से हमेशा संभलना है"
"त्योहार "कविता भारत की सांस्कृतिक विविधता और त्योहारों की समृद्ध परंपरा का सुंदर चित्रण है। इसमें कवि ने भारतवर्ष में मनाए जाने वाले विभिन्न त्योहारों के सामाजिक, भावनात्मक और सांस्कृतिक पक्षों को सहज भाषा में प्रस्तुत किया है-
"गेहूं की फसल पकने पर
बैसाखी पर बजते ढोल नगाड़े
असम में होती बिहू की धूम
दक्षिण भारत में पोंगल के नज़ारे"
"राज्य और उनकी राजधानियां" कविता में भारत के विभिन्न राज्यों और उनकी राजधानियां को याद रखने का एक सरल , लयबद्ध और बाल उपयोगी माध्यम है। इसमें बच्चों को भूगोल की जानकारी रोचक और कविता के रूप में दी गई है जिससे उन्हें पढ़ना और याद रखना दोनों ही आसान हो जाता है-
"राजस्थान का गम इलाका है चूरू
कर्नाटक की राजधानी है बेंगलुरु
"वंदन करो जो भी गुरुजन तुम्हें मिला
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला"
"मुहावरों का संसार" यह कविता बच्चों को मुहावरों की दुनिया से परिचित कराने का एक सुंदर, रचनात्मक और शिक्षाप्रद प्रयास है। इसमें हिंदी भाषा के लोकप्रिय मुहावरों को सरल उदाहरण के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है, जिससे बाल पाठक न केवल उन्हें समझ सके बल्कि उनका व्यावहारिक अर्थ भी जान सकें।
"जब कोई इंसान लगता है बड़ा प्यारा
तब उसको हैं कहते आंखों का तारा"
"अक्सर हैं कहते, एक और एक ग्यारह
यानी काम में एक दूजे का बने सहारा"
"अखबार" कविता रोज़मर्रा की एक सामान्य परंतु रोचक आदत-अखबार पढ़ने को सरल, संजीव और हल्की-फुल्की अंदाज में प्रस्तुत करती है जिसमें परिवार के सभी सदस्यों की रुचि के अनुसार समाचार पत्र के महत्व को सहजता से प्रस्तुत किया गया है। यह कविता बच्चों को पढ़ने की आदत, परिवार के साथ साझा समय और सूचनात्मक सामग्री से जुड़ने की प्रेरणा भी देती है।
"दादा को राहत उनका इंतजार
कि कब जैसे वो लाए अखबार।
दादी मां को धार्मिक पेज है भाता
पापा को राजनीति वाला पृष्ठ सुहाता।"
"स्वास्थ्य और योगक्षेम" कविता बच्चों को स्वस्थ जीवन शैली, योग और प्राकृतिक जीवन मूल्यों की प्रेरणा देती है। प्रेरणात्मक कविता के रूप में यह बच्चों को सुबह जल्दी उठने, सूर्य नमस्कार करने, प्राणायाम व योग के महत्व को समझने का सरल और लयबद्ध प्रयास करती है।
" प्रकृति और हम" कविता में प्रकृति के विविध रूपों--जैसे बादल, झरने ,नदियां ,जंगल, फूल पत्तियों और जानवरों का वर्णन करते हुए बताया गया है कि प्रकृति ने मानव को जीवन जीने के लिए कितना कुछ दिया है। साथ ही कविता हमें चेतावनी भी देती है कि यदि हमने प्रकृति को नुकसान पहुंचा तो हमारा अस्तित्व भी संकट में पड़ जाएगा।
"प्रकृति ने दिया है मानव को जीवन,
नदियां,पहाड़, जीव जंतु और वन"
"प्रकृति को हम अगर पहुंच जाएंगे नुकसान,
धरती पर जीवन तब नहीं होगा आसान"
" गन्ने का बलिदान" कविता एक छोटी किंतु गहन रूपकात्मक कविता है जो बच्चों के मन में त्याग, सेवा और आत्मन्यौछावर जैसे मूल्यों को ग्रहण करने का संदेश देती है।
"दादा बोले, गन्ने ने दिया है अपना बलिदान,
औरों के लिए खुद को किया है कुर्बान,
जब अपना अहम इसने मिटाया है,
तभी तो मिठास इतना घोल पाया है।"
बाल काव्य संग्रह की अंतिम कविता " मित्रता" बाल पाठकों के लिए लिखी गई एक प्रेरणात्मक रचना है जो श्री कृष्ण और सुदामा की प्रसिद्ध मित्रता को आधार बनाकर सच्ची दोस्ती के मूल्यों को उजागर करती है। यह कविता बाल साहित्य में मित्रता की सर्वोत्तम मिसाल में से एक है। इसमें न केवल भावनात्मक जुड़ाव है, बल्कि नैतिक शिक्षा और आदर्श प्रस्तुत करने की शक्ति भी है।
"सुदामा पर थी जब गरीबी छाई भारी,
मुश्किल समय में काम आती है यारी,
कृष्ण ने देखा मित्र सुदामा है लाचार,
घर, गहने ,वस्त्र और दिए ढेरों उपहार।
बाल काव्य संग्रह का आवरण बाल सुलभ चित्रों से सजा हुआ है जो पढ़ने के लिए आकर्षण उत्पन्न करता है। अक्षरों को गाते हुए दर्शाना एक रचनात्मक सोच का परिचायक है। भाषा सरल, सहज और बाल रूचि के अनुसार है। कविताओं में छंद मुक्त और तुकांत दोनों शैलियों की झलक मिलती है। भाषा की शैली गीतात्मक, संवादात्मक और बोधप्रद्ध है। कविताओं के भाव उत्साह, जिज्ञासा, देश प्रेम, प्रकृति प्रेम, वैज्ञानिक सोच और नैतिक मूल्यों को उजागर करते हैं।
"गीत गाते अक्षर" एक सरस, शिक्षाप्रद और बालमन के अनुकूल कविताओं का संग्रह है, जो न केवल बच्चों के मनोरंजन के उद्देश्य से रचा गया है, बल्कि उनका बौद्धिक, नैतिक और सामाजिक विकास भी सुनिश्चित करता है। मनोज कुमार शिव द्वारा रचित "गीत गाते अक्षर" हिंदी साहित्य को एक समर्पित एक ऐसा प्रयास है जो बाल साहित्य को केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं रखता, बल्कि उसे ज्ञान, संवेदना, संस्कार और सृजनात्मकता से भी जोड़ता है। इस पुस्तक की 66 कविताएं बच्चों को न सिर्फ कविता का आनंद देती हैं बल्कि उन्हें सोचने, समझने और जीवन के विविध पक्षों से परिचित होने का अवसर भी देती है। यह संग्रह अक्षरों के माध्यम से भाषा की सुंदरता, प्रकृति की मधुरता, देश प्रेम की भावना, स्वास्थ्य और विज्ञान की उपयोगिता तथा मूल्य और नैतिकता की सीख को बड़ी सरलता और सहजता से प्रस्तुत करता है।
कवि मनोज कुमार शिव वह कुशल शिल्पी हैं, जिन्होंने इन मोतियों की माला को पिरोकर बाल सुलभ बचपन को काव्य का सबसे मधुर उपहार दिया है। उनकी यह अनुपम कृति मात्र एक कविता संग्रह नहीं,बल्कि बचपन की बोली में बोया गया शब्दों का बगीचा है जिसे कवि ने अपने स्नेह, संवेदना और सृजनशीलता से सींचा है। आशा करते हैं भविष्य में भी मनोज कुमार शिव जी का ऐसा अनुपम साहित्य निरंतर पाठकों को पढ़ने के लिए मिलता रहेगा। भविष्य के लिए अनंत शुभकामनाएं एवं साधुवाद।
समीक्षक- वसुंधरा धर्माणी


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