साहित्य चक्र

14 August 2025

स्वतंत्रता दिवस पर कविताएँ- 2025




आओ मनाएँ वर्षगाँठ

आओ मनाएँ वर्षगाँठ, भारत स्वतंत्र महान की,
आओ मनाएँ वर्षगाँठ, भारत स्वतंत्र महान की।

है छटा आज भारत धरा की, विवाह मंडप में बैठी सजी किसी दुल्हन सी,
मोह रही हर नजर को जो, है लिवास तिरंगे में लिपटी,
वन-उपवन में खिले पुष्पों ने, फैला दी है आभा रंग केसरिए की,
हिम आच्छादित चोटियाँ इसकी, निभा रही भूमिका रंग सफेद की,
हरी-भरी लहलाती फसलों की हरियाली, पर्याय बनी है रंग हरे की,
अन्तर्राजीय सीमाएँ भू-भाग की इसके, है तीलियाँ ज्यों अशोक चक्र की ‘
प्रेरणा जो दे रही हर पल, हर प्रांत को आगे बढ़ने की ,
कोई बराबरी क्या कर पाएगा, माँ भारती की इस तिरंगी शान की,
आओ मनाएँ वर्षगाँठ, भारत स्वतंत्र महान की,
आओ मनाएँ वर्षगाँठ, भारत स्वतंत्र महान की।

लहू अपने से मांग इसकी भर,
कर्तव्य पथ पर चल बलिदानियों ने अपनी आहुति दी,
सुहाग बचाने को इसका दे दी थी कुर्बानी जिन्होंने,
बेपरवाह अपनी जान की, लाठियाँ सही,गोलियां खाई,
कारावास में रहकर भी बुलंद अपनी आवाज की,
भूख सहकर ,प्यासे रहकर, बचाने माँ भारती की आन ,उफ़ तक न की,
शत-शत नमन आज उन शहीदों को,
कायम जिन्होंने शहीदियों की एक अनोखी मिशाल की,
“बजूद” को अपने मिटाकर उन्होंने, माँ भारती की शाश्वत मूर्त गढ़ दी,
कृतज्ञ रहें हम स्मरण में उनके, सोच न आए कभी हमें अभिमान की,
आओ मनाएँ वर्षगाँठ, भारत स्वतंत्र महान की,
आओ मनाएँ वर्षगाँठ, भारत स्वतंत्र महान की।

पल्लवित पुष्पित है भारत माँ, ज़्यूँ बहु किसी खुशहाल ससुराल की,
मिल रही शिक्षा,स्वास्थ्य सुविधा, नहीं कमी कोई रोटी,कपड़ा और मकान की,
छः ऋतुओं से पोषित भारत भूमि, अन्न –धन की है चिरस्थायी एक खान सी,
इस विरासत को न खोना, रक्षक बन रहना इसकी लाज और शान की,
समृद्ध संस्कृति को कायम रख, गुनगुनाते रहना गाथा इसके गौरव गान की,
अटल इरादे ,अडिग हौंसले,
निर्भय मन हों चमक हर मुख पर दिव्य मुस्कान की ,
रहे आदर्श हमेशा सबका ये राष्ट्र, धूमिल न हों छवि विश्व गुरु की,
तत्पर रहें मिटने को हरपल, खातिर इसकी आन,बान और शान की,
स्वार्थ छोड़ रह परमार्थ की पकड़, ताकि बेकार न जाए कुर्बानी हर उस शहीद जवान की,
भोग-विलास और आलस त्याग, बढ़े कदम बस राह बलिदान की,
रहें सलामत सरहदें इसकी, टेढ़ी नजर न पड़े दुश्मन शैतान की,
आओ मनाएँ वर्षगाँठ, भारत स्वतंत्र महान की,
आओ मनाएँ वर्षगाँठ, भारत स्वतंत्र महान की।


- धरम चंद धीमान


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आजादी 

गुलामी की बेड़ियों में बंधीं भारत माता 
बोली अब ये परतंत्रा का बोझ उठाया नहीं जाता।
आवाज सुन सपूतों का खून खौल उठा 
मां की आजादी की कसम खा बैठा।
बच्चा ,बूढ़ा , जवान सब हो गए तैयार कुर्बानी को
भूल गए बचपन, बुढ़ापे और जवानी को।
दिन रात कर दिया एक भारत माता की आजादी के खातिर 
गोरी सरकार हार न मानें, थी इतनी शातिर।
पर भारत माता के सपूतों के आगे  एक न चली 
गोरी सरकार के मन में हौले हौले आत्मसमर्पण की इच्छा पली।
आखिर वो दिन भी अब आ ही गया 
जब भारत ने अपना स्वतंत्रता दिवस मना लिया।
स्वतंत्रता के इस अनोखे तोहफे को है संजोना 
आने वाली पीढ़ी को भी रूबरू जरूर है करवाना।


- विनोद वर्मा


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मैं हिंदुस्तान हूं

विश्व      के         नक्शे       पर 
एक      अलग     पहचान     हूं 

किसी    से     नहीं      वेदभाव 
हर   किसी   पर   मेहरबान   हूं 

कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैला हूं
हां    हां    हां    मैं  हिंदुस्तान हूं 

मेरी    इस   अनोखी   धरा   पर 
हिंदू,   मुस्लिम ,  सिख,   ईसाई 

सब    रहते    हैं    सब  रहते   हैं 
 हर    किसी     के      हृदय    में 

हर   धड़कन  में  विराजमान   हूं 
हां   हां   हां   मैं   हिंदुस्तान    हूं ।


देशभक्तों के लिए उनकी जान हूं 
हर  भारतवासी  का आसमान हूं 

बुरा  किसी  का   करता  नहीं  मै 
दुश्मन  से  कभी   डरता  नहीं  मैं

 जो  मुझसे  बिन  बजह  टकराए
उसके   लिए    तो    शमशान   हूं


हर बच्चे, बूढ़े चेहरे  की मुस्कान हूं
हां   हां     हां   मैं     हिंदुस्तान   हूं ।


- जीवन वैरागी


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स्वतंत्रता के महापर्व को साकार करें

वेदों से बलिदानों तक मानों कुछ ऐसी होड़ लगी ,
नहीं थी मंजूर अब पराधीनता,
प्रथम प्रभात की एक किरण से स्वतंत्रता की जोत जगी ,
चमकी जो तलवार विद्रोह की 57 में,
कुछ यूं चला यत्न, प्रयत्न और आंदोलनों का सिलसिला,
थमीं वह रक्त की धारा फिर जाकर 47 में,

100 वर्षों के समर्पण में क्या बताऊं
'माही' क्या खोया क्या पाया है ?
बोल रहा है चीख- चीख़ कर इतिहास,
बसंती रंग में रंगने वालों ने फिर जाकर
भारत भूमि पर तिरंगा फहराया है,

अब संकल्प हमारा है हमें हर संकल्प निभाना है,
भले लड़ना पड़े शंखों की मल्हार या
फिर गोलियों की बौछार से,
'वंदे मातरम' की ध्वनि से हमें तिरंगे का मान बढ़ाना है।
वंदे मातरम वंदे मातरम।


- रचना चंदेल 'माही'


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"दास्तान आजादी की"

वैर, विरोध, वैमनस्यता के कारण
दो सौ साल से परतंत्र था भारत
सहन किया अंग्रेजों का शोषण
हर भारतवासी का दिल था आहत

मनमानी करते थे हर शासक
चारों ओर अराजकता थी व्यापक
अंग्रेजों ने तब जाल बिछाया
देख आपसी रंजिश पर्याप्त

हिंदू मुस्लिम का कराया भेद
सोने की चिड़िया था तब देश
सोने चांदी के भव्य भंडार देख
आए लुटेरे बदल कर भेष

जकड़ लिया मां भारती को दरिंदों ने
गुलामी की मजबूत जंजीरों में
न जाने कहां से आ गई दासता
मजबूत हाथों की लकीरों में

भूल कर सब व्यापक अंतर्द्वंद्व
हर भारतवासी ने किया संघर्ष
कूदे रणभूमि में रणबांकुरे
हर चुनौती को स्वीकारा सहर्ष

माताओं ने अपने लाल अर्पण किये
बहनों ने कुर्बान किये प्रिय भाई
वीरांगनाओं ने अपने वीर दिए
तब 15 अगस्त को आज़ादी पाई

अखंडता भारत की रहेगी सदा
ना इसे खंडित कोई कर पाएगा
बहादुरी,बलिदान की अद्भुत मिसाल
यह तिरंगा अविच्छिन्न लहराएगा


- वसुंधरा धर्माणी


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तिरंगे से है शान

तिरंगे से है शान भारत की,
इसमें बसती जान भारत की।
इसके मान की रक्षा के खातिर,
हर पल हमारी जान है हाजिर।

मर मिटे थे इसे पाने को कई भारत मां के सपूत,
अटल थे इरादे उनके और हौसले थे मजबूत।
वीर वधुओं के नेत्रों में था सिर्फ गर्व का नीर,
बच्चा –बच्चा था तिरंगा लहराने को इसे अधीर।

किसी ने खुद को खुद ही थी मारी गोली,
किसी ने जलती चिता में स्वयं की आहुति डाली।
गोरों के हाथ न आके मौत को खुद ही गले लगाया ,
धूल से मिल गये खुद लेकिन तिरंगे को न झुकाया।

किसी की उजड़ी मांग, छूटा किसी का साथ ,
हो गये कई दुधमुंहें भी असमय थे अनाथ।
हो गया था किसी का बुढ़ापा लाचार, बेसहारा ,
गिला नहीं था फिर भी, पा लिया था तिरंगा प्यारा।

गुमनामी किसी के हिस्से आई, किसी ने सुर्खियाँ पाई,
पाने को स्वतंत्रता देशभक्तों ने कसम थी खाई।
सबके दिल में लेकिन एक ही था अरमान,
कमी न आये कोई, तिरंगे का बना रहे सम्मान।

वीरता का है प्रतीक ये केसरी रंग,
सफ़ेद शांति से रहने का सिखाता हमें ढंग।
हरा सुख समृद्धि का पाठ है पढ़ाता,
नीला चक्र निरंतर प्रगति की बात सिखाता।


- लता कुमारी धीमान


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क्या यही है शहीदों का सच्चा सम्मान
आज स्वतंत्रता दिवस है
आज लालकिले की प्राचीर पर
प्रधानमंत्री द्वारा होगा ध्वजारोहण
शहीदों को दी जाएगी श्रद्धांजलि
शहीदों की प्रतिमाओं पर होगा माल्यार्पण
शहीदों की याद में जगह-जगह होंगे विभिन्न कार्यक्रम
शहीदों के नाम से होंगे बड़े-बड़े ऐलान
पर क्या सिर्फ यही है शहीदों का सच्चा सम्मान
शहीद वे हैं जिन्होंने देश के लिए कर सर्वस्व न्योछावर
अंग्रेज मुक्त भारत का सपना किया साकार
क्या आज उन शहीदों के आदर्शों को दिया जाता हैअधिमान?
क्या शहीदों के परिवारों को मिल रहा है समुचित सम्मान?
क्या देशप्रेम और देशभक्ति का भाव व्यापक
रूप से लोगों में दिखता है?
क्यों शहीदों का नमन, वंदन
कुछ चंद दिनों में ही दिखता है?
वास्तविकता ये है
औपचारिकताएं निभाई जाती हैं
वोट बैंक साधे जाते हैं
विशेष दिन छोड़ शहीदों की
प्रतिमाओं की भी
कोई पूछ नहीं होती
जबकि आवश्यकता ये है
शहीदों को मिले उचित सम्मान
हमारे शहीदों के आचरण एवं
उच्च आदर्शों के प्रति युवाओं
को किया जाये जागरूक
ताकि वे देशभक्ति एवं
देशप्रेम से परिपूर्ण हो
करें एक नवीन, उन्नत और समृद्ध
भारत का निर्माण
ज़ब तक नहीं होगा शहीदों का सच्चा सम्मान
तब तक मेरा भारत नहीं बनेगा
मेरा भारत महान
आओ आज हम सभी मिलकर खाएं कसम
हम अपने शहीदों के सपनों का भारत बनाएंगे
भारत को पुन: सोने की चिड़िया बनाएंगे
तन -मन से आज़ादी और आज़ादी के परवानों
का करें सम्मान
जय हिंद, भारत माता की जय
स्वरचित और मौलिक रचना


- प्रवीण कुमार

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हमारी शान है तिरंगा,
हमारी जान हैं तिरंगा।
सरहदों पर तैनात खड़े,
हाथ में वो तिरंगा लिए।
अमन चैन आराम कहां,
कर्तव्य से बड़ा ईमान क्या।
जाने कितनों ने कुर्बानियां दी,
अपने देश की सुरक्षा के लिए।
लहु लुहाल हो गए सेना के जबान,
फिर भी सर झुकने ना दिया।
कटा लिए सिर अपने आज भी बहुत,
पर कभी दुश्मन को आगे बढ़ने न दिया।
तिरंगा फहराया जब इस आसमां में,
उसके सम्मान को कभी अपमानित न किया।
लाल किला पर जब लहराया परचम तिरंगा का,
वीर सालमी आज भी तिरंगा को देते रहें।
जय हिन्द वन्देमातरम।


- रामदेवी करौठिया


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देश हमारा प्यारा भारत,
जिसमें हम सब रहने वाले
वेष हमारा हिन्दुस्तानी,
जिसको हम पहनने वाले
बोली अपनी प्रेम की बोली,
जिसको हम हैं बोलने वाले।
जन गन मन है गीत हमारे
जिसको हम सब गाने वाले।
झंडा हमारा तिरंगा प्यारा,
जिसको हम फहराने वाले।
हमारा नारा एक है हम
मिल जुलकर रहने वाले।
हमारी ताकत वीर जवानों
जो है देश के रखवाले।
वंदे मातरम वंदे मातरम


- रत्ना बापुली


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महोत्सव है आज़ादी का,
मन हुआ रंग-बिरंगा,
आओ फहरायें हम मिलकर,
अपने देश का तिरंगा!
माह अगस्त महीना था,
देश हुआ आज़ाद,
शहादत देश भक्तों की,
रखनी है हमें याद,
देख साहस वीरों का,
भागा हर फ़िरंगा,
आओ फहरायें हम मिलकर,
महान देश का तिरंगा!
राष्ट्र एकता की अलख जगी,
जिस पर है हमको गर्व,
संकल्प लें भाईचारे का,
आया आज़ादी का पर्व,
तभी बहेगी हमारे मन में,
प्रेम सौहार्द की गंगा,
आओ फहरायें हम मिलकर,
प्यारे देश का तिरंगा!
शांति और अमन की सदा,
करतें हैं सभी कामना,
देश सेवा का भाव हो,
बस यही है शुभकामना,
अब ना हो कभी यहाँ,
जाति - धर्म का दंगा,
आओ फहरायें हम मिलकर,
भारत देश का तिरंगा।

- आनन्द कुमार


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मान शहीदों का रखना
आज़ाद देश में रहते हैं हम, आज़ादी हम को प्यारी है।
लेकिन क्या मालूम है सबको, इस आज़ादी पर कितनों ने, जाने वारीं है।

एक नज़र शहादत पर रखकर, तुम मान शहीदों का रखना,
देश मेरा सबसे पहले और पीछे सारे अहम् रखना।

दो सौ साल झेली गुलामी, पग-पग पर अपमान सहा,
गौरों ने राज किया भारत पर, और हमको गुलाम कहा।

सब कुछ छीन लिया हमसे, और अनपढ़, ग्वार कहा।
क्या -कया बयां करुं तुम से, गौरों ने कितना जुल्म किया।
जान की कोई कीमत ना थी, जब चाहा जिसे मार दिया।

जलियांवाला बाग की घटना, आज भी दिल दहलाती है
राजगुरु, सुखदेव,भगतसिंह की फांसी याद अभी भी आती है।

सुभाष चंद्र, आज़ाद, तिलक और लालाजी के नारे आज भी,
हमें आज़ादी के दीवानों की याद दिलाते हैं।

आज़ादी नहीं मिली मुफ्त में, कितना कुछ हमने खोया है,
गुलामी की कालिख को, वीरों ने रक्त से धोया है।

कितनी मांगें उजड़ीं और कितनों ने लाल को खोया है।
वीरांगनाओं की गाथा क्या गाऊं, नतमस्तक, निःशब्द हूं मैं।
लेकिन आज़ादी की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हूं मैं।

खून से सनी मिली है आज़ादी , इतना याद सदा रखना,
बनकर पहरेदार देश के, मान शहीदों का रखना।
देश मेरा सबसे पहले और पीछे सारे अहम् रखना।
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

- कंचन चौहान


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आज़ादी

आज़ादी आज अपनी परिभाषा,
फिर खोज रही है। उसे दो पंख नहीं चाहिए,
सिर्फ एक चेतना की तलाश है।

ज़िंदा तो हर इंसान है,
पर उनके विचारों में सच्चाई की झलक कहां है......?
धुएं के बदले में सपने बुनते बुनते,
ईमानदारी को कब फूंक दिया, पता भी नहीं चला।

जंग लगे लोहे की तरह, इंतजार में है इंसानियत।
कोई आए और दिन बदल जाए। पर हर बार ऐसा संभव नहीं।

खुद ही उठाना पड़ता है,
चाहे डोर किसी के भी हाथ में हो।
हवाओं को ताकत बनाकर, जैसे पतंग आसमान छू लेता है;
ठीक वैसे ही, आज़ादी अनुशासित उड़ान भरना चाहती है।

गर्व सम्मान और आनंद से भरा आज़ादी का पर्व,
लहराते हुए तिरंगे की शान में सर झुकाकर कहता है–
"आज़ाद रहो, आज़ादी संभाल कर रखो"।


- सुतपा घोष


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तान कर नभ पर तिरंगा भारती माँ शान से।
हिन्द के गौरव वरण का गान हो अभिमान से।
श्वेत हिस्सा शांति सम साहस बताये केसरी,
है हरा सूचक प्रगति का, झूमते खलियान से॥

शैल हिमगिरि के अचल पर तानकर सीना अड़े।
भारती के शेर अविरल देख सरहद पर खड़े।
मौत का साया न उनपर कुछ असर है डालता।
गर्व से सीना उठाकर, देश की खातिर लड़े॥
ए वतन तुझ पर समर्पित, जान भी क़ुर्बान है।
देश का सम्मान ही अब जीवनी का गान है।
तन समर्पित मन समर्पित और क्या अर्पण करू।
खून का हर एक कतरा देश हित बलिदान है॥

- डॉ. प्रतिभा गर्ग


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गीत आजादी का हम गायेंगे,
खुशियाँ मनायेंगे ना-2

वो वीर थे महान हुए देश पर कुर्बान-2
जय हिन्द का नारा हम लगायेंगे
खुशियाँ मनायेगे ना

गीत आजादी का हम गायेंगे,
खुशियाँ मनायेंगे ना-2
बाँधे सर पर थे कफन मारे चुन-चुन के दुश्मन
झंडा सीमा पर हम तो लहरायेंगे
खुशियाँ मनायेगे ना
गीत आजादी का हम गायेंगे,
खुशियाँ मनायेंगे ना-2
राजगुरु सुखदेव संग भगत सिंह थे वीर-2
असेम्बली को जब बम से उड़ाये थे
वंदे मातरम गाये थे ना
गीत आजादी का हम गायेंगे,
खुशियाँ मनायेंगे ना-2
बोस उधम आजाद की है कुर्बानी याद
कैसे याद परम वीर नहीं आयेंगे
खुशियाँ मनायेगे ना
गीत आजादी का हम गायेंगे,
खुशियाँ मनायेंगे ना-2
- रिंकी सिंह


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