किसी व्यक्ति या स्त्री की सुंदरता सामान्यत: उसके रंग,रूप, शरीर सौष्ठव, कद-काठी आदि के आधार पर आंकी जाती है। परंतु यह किसी व्यक्ति विशेष की बाहय सुंदरता में आती है और बाहय सुंदरता के द्वारा हम किसी व्यक्ति की ओर एक दृष्टि में या अल्प काल के लिए तो आकर्षित हो सकते हैं, परंतु यह आकर्षण स्थायी नहीं होता।
किसी व्यक्ति विशेष की वास्तविक सुंदरता उसकी आंतरिक सुंदरता होती है, जो उसके व्यवहार, विचारों और उसके कर्मों में दृष्टिगोचर होती है, जो स्थायी, मनमोहक और वातावरण को सुखद बना देती है।
मधुर व्यवहार, सुविचार और श्रेष्ठ कर्म वाले व्यक्ति की ओर कोई भी सहज ही आकर्षित हो जाता है। मधुर व्यवहार, सुविचार और श्रेष्ठ कर्म ऐसे तीन आभरण हैं जो व्यक्ति विशेष को शारीरिक सौंदर्य का अभाव होने पर भी स्वतः आकर्षण का केंद्र बना देते हैं और यही वह सच्ची एवं वास्तविक सुंदरता है जो व्यक्ति के व्यक्तित्व को प्रभावशाली आकर्षक और मोहक बना देती है।
लेखक- प्रवीण कुमार

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