मेरा बचपन बहुत ही शानदार बीता एक बड़े भाई और एक छोटा और दो बड़ी बहनों की छोटी बहन का दर्ज़ा मिला था। बचपन से ही बहुत होशियार और तेज थी सबकी चहेती भी थी।
जब भी कोई त्यौहार आता बहुत ही उत्साहित हो जाती थी खासकर जब भी राखी का त्यौहार आता भाई को राखियां भेज देती तब चिट्ठी पत्री का दौर चलता था।
भाई आर्मी में दूर-दूर पोस्टिंग होने के बाद भी हम बहनों को पैसे भेजने में कभी देरी नहीं करता था।
हमारे पैसे टाइम पर आ जाते उस जमाने में 20 रुपए की बहुत ज्यादा वैल्यू थी तो भाई हम तीन बहनों और ताऊ जी चाचा जी की बेटियों को भी पैसे भेजना नहीं भूलता था।
हम लोग राखी के पैसे पाकर बहुत खुश होते थे और भाई की लंबी दुआ की कामनाएं करते थे क्योंकि हम अपने भाइयों से बहुत प्यार करते है आज भी।
बचपन के वो दिन भुलाए नहीं भूलते है क्योंकि हमारे लिए हर दिन किसी त्यौहार से कम नहीं होते थे। आज भाई बहन सब अपने अपने परिवार के साथ बहुत व्यस्त हो गए है।
मैं सबसे छोटी होने के बहुत फायदे में रहती हूं क्योंकि बहमें भी मुझे किसी बच्चे से कम नहीं समझती और आज भी वह मुझे पैसे आदि देती है बिल्कुल अपने बच्चों की तरह ही मानती हैं।
आज भी राखी का त्यौहार आता है और भाइयों के लिए हमेशा ही ईश्वर से प्रार्थना करती हूं भाई कुछ भी दे या न दें प्रार्थना हमेशा करती रहूंगी।
राखी हमारे भारत वर्ष का खाश त्यौहार है जो वर्षों से निरंतर चल रहा है और हमेशा निरंतर चलता रहेगा। भाई और बहनों का प्रेम का प्रतीक के रूप में।
- सुमन डोभाल काला, देहरादून, उत्तराखंड

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