हरी-भरी पहाड़ियों के बीच बसे एक शांत और सुरम्य गाँव में एक वृद्धा रहती थीं, जिन्हें सभी स्नेह से "अम्मा" कहते थे। अम्मा अपनी मुस्कान, निस्वार्थ सेवा और अद्भुत पकवान बनाने के लिए प्रसिद्ध थीं। उनके स्नेहपूर्ण स्वभाव के कारण गाँव के लोग उन्हें अपने परिवार का हिस्सा मानते थे।
एक दिन गांव में एक नया लड़का आया, जिसका नाम राहुल था। राहुल एक तेज-तर्रार और जिज्ञासु लड़का था, लेकिन उसकी शरारतें उसे अक्सर मुसीबत में डाल देती थीं। वह बच्चों के साथ मज़ाक करता और लोगों को परेशान करता। राहुल की चंचलता से गाँव वाले परेशान हो गए थे।
एक दिन अम्मा ने राहुल को ध्यान से देखा और उसकी शरारतों के पीछे छिपी चमक और उत्साह को महसूस किया। उन्हें विश्वास था कि यह ऊर्जा सही दिशा में लगाई जाए तो राहुल एक बेहतरीन इंसान बन सकता है। एक दिन, जब राहुल शरारत के बाद परेशान होकर पेड़ के नीचे बैठा था, तब अम्मा ने उसे अपने पास बुलाया।
अम्मा ने राहुल को अपने हाथों से बनी मिठाई दी और धीरे-धीरे उससे बातें करना शुरू किया। उन्होंने उसे कहानियाँ सुनाई। इसके बाद हर दिन अम्मा राहुल को कुछ नया सिखाती। कभी किसी बूढ़े किसान की मदद करना, तो कभी किसी घायल पक्षी का उपचार करना।
शुरू में राहुल ने अम्मा की बातों को हल्के में लिया, लेकिन धीरे-धीरे अम्मा की दयालुता और स्नेह ने उसका दिल जीत लिया। वह अब अम्मा के साथ समय बिताने लगा और उनके दिए हर छोटे-बड़े कार्य को एक चुनौती की तरह लेने लगा। धीरे-धीरे राहुल ने महसूस किया कि दूसरों की मदद करना कितना संतोषजनक हो सकता है।
समय के साथ, राहुल में बदलाव आने लगा। अब वह अपने दोस्तों के प्रति दयालु, बड़ों के प्रति आदरपूर्ण और जरूरतमंदों के प्रति सहानुभूति रखने लगा। राहुल की शरारतें एक नए रूप में बदल गयीं। वह बच्चों को हँसाने और गाँव के कामों में मदद करने के लिए अपनी चतुराई का उपयोग करने लगा। इससे राहुल ने गांव वालों का दिल जीत लिया।
गाँव वाले राहुल के इस बदलाव को देख कर आश्चर्यचकित थे। क्योंकि उन्होंने राहुल में एक नई ऊर्जा और सच्चाई देखी, जो पहले उनके लिए सिर्फ एक उपद्रवी था। एक दिन, गाँव के लोग अम्मा के पास गए और राहुल में आए इस अद्भुत बदलाव के लिए उनका धन्यवाद किया।
अम्मा मुस्कुराईं और बोलीं- "हर बच्चे में अच्छाई छिपी होती है। उसे बाहर लाने के लिए प्यार और धैर्य की जरूरत होती है। एक दीपक से दूसरा दीपक जलाने में कभी प्रकाश कम नहीं होता है।"
उस दिन के बाद, राहुल को "गाँव का दीपक" कहा जाने लगा। राहुल ने गाँव के हर व्यक्ति के जीवन में उजाला भरने का काम किया। और यह सब उस स्नेहमयी अम्मा की वजह से संभव हो पाया, जिन्होंने अपनी दयालुता से न सिर्फ राहुल का जीवन बदला, बल्कि पूरे गाँव को एक नया संदेश दिया।
- दीपक कोहली

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