पाक दिल था हमारा जो इनाम ए मुहब्बत मिली।
बदनाम होकर ही सही कुछ तो हमें शोहरत मिली
तुम जो ज़िंदगी में आए ज़िंदगी हमारी बदल गई,
करामात खुदा की ज़माने भर की नियामत मिली।
क्या कहें, कि तुम किस्मत बन के ज़िंदगी में आए,
शुक्रगुजार हम खुदा के जो हमें ऐसी किस्मत मिली।
हो साथ हमारे अब तुम हमकदम बनके क्या कहें,
दौर ए नफरत में हमारे तन मन को हिफाज़त मिली।
दिए ताने ज़माने ने 'कला' जो तुम्हें साथ पाया हमारे,
बतौर तोहफ़ा ज़माने से मुहब्बत की ये कीमत मिली।
- कला भारद्वाज

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