किसी शहर में सुरेश नाम का बहुत बड़ा व्यापारी रहता था। उसकी तीन बेटियां और एक बेटा था। बेटा- बेटी में भेदभाव की भावना से ग्रसित था। बेटा-बेटी की शादी ब्याह कर चुका था। बहू को प्रसव पीड़ा प्रारंभ हुई तो सुरेश और उसका बेटा नजदीक के अस्पताल में बहू को भर्ती कराया और खुशखबरी का बड़ी बेसब्री से इंतजार करने लगे। बार-बार निगाहें अस्पताल के दरवाजे तक जाती और रुक जाती और मन बार-बार अपने इष्ट का स्मरण करके यही प्रार्थना करता कि हे! प्रभु आज तो अच्छी खबर सुनने को मिल जाए।
तभी अस्पताल का दरवाजा खुलता है और डॉक्टर बाहर आई और बोली बधाई हो नाती हुआ है। सबके चेहरे खुशी से खिल उठे सुरेश को खुशी के मारे कुछ समझ नहीं आया और उसने झट से अपने गले से एक सोने की चेन निकाली और डॉक्टर को देते हुए बोला ये लो बधाई का इनाम डॉक्टर ने 2 मिनट तक सुरेश की तरफ देखा उसके बाद उसकी चेन उसको वापस कर दी। और विनम्रता पूर्वक हाथ जोड़ कर बिना कुछ बोले अपने रूम में चली जाती है।
सुरेश को उस डॉक्टर पर बहुत गुस्सा आया और बोला घमंडी डॉक्टर ने मेरा बहुत बड़ा अपमान कर दिया पर कारण क्या था यह बात उसकी समझ में नहीं आई। इधर डॉक्टर सोच रही थी कि तीन आजन्मी बेटियों का हत्यारा उसके हाथ से चेन ले कर मुझे उसके पाप में शामिल नहीं होना है। सुरेश ने तीन बार बहू का अबॉर्शन उसी डॉक्टर से कराया था। इसीलिए उस डॉक्टर को सुरेश जैसे व्यक्ति से सख्त नफरत थी। सुरेश जैसे कुत्सित विचारधारा के लोगों के कारण ही आज भी कोख में बेटियों को मार दिया जाता है।
- सीमा त्रिपाठी

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