साहित्य चक्र

20 January 2025

अयाज़ की तीन मनमोहक रचनाएँ



नागार्जुन

चाँदनी से पिघलता
फूलों-सा महकता
चाँद का कटोरा
जिसमें अभी-अभी तुमने
पानी पिया था
सितारों बीच अटका है
रात की रसोई में।

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बिजली के तार पे चिड़िया

चिड़िया अंधी होती है 
चिड़िया बहरी होती है 
चिड़िया इस्पात की बनी होती है।

चिड़िया आकाश के कैनवास पर छा गई 
चिड़िया सोने की बनी होती है 
चिड़िया पिंजरे से टकराती है।

चिड़िया बिजली के तार पर बैठती
चिड़िया की छुअन से लज्जित बिजली का तार।

चिड़िया पानी के लिये बदहवास घूमती 
चिड़िया और लड़की की बातें समान है 
चिड़िया पृथ्वी की धड़कन है।

चिड़िया की बातों को समझने वाला कोई नहीं 
चिड़िया कुछ कहना चाहती है 
चिड़िया के पानी में विष।

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मेरे कमरे का अँधेरा

मुझे अपने कमरे का अँधेरा अच्छा लगता है
शायद अँधेरे को मेरी ज़रूरत है।

कमरे का अँधेरा मेरा मित्र है
लेकिन मेरे कमरे का रहस्यमय अँधेरा
मेरे अतीत की तरह डरावना है।

मैं कमरे के अँधेरे से बातें करता हूँ
लेकिन वह पत्थर की तरह ख़ामोश रहता है
अँधेरे ने मुझे पिंजरा बनकर क़ैद कर लिया।

क्या अँधेरा मेरी कमज़ोरी है?
अँधेरे में एक चीख़-सी क्या है?
बताने वाला कोई नहीं 
कोई नहीं। 

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                                                 - अयाज़ ख़ान

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