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बात बाळपन री है
म्हं बाळक हो
अचपळों अर बदमाश हो
खेलतो -कूदतों मस्त हो
काम कीं नीं करतो
ओळमों सिर-माथे राखतों
अळबाद पर अळबाद करतों
म्हं घणां उजाड़ करतो
बापू जैळी चकतों
जाड़ पिसतो
म्हं "मां" री ओट लेवतों
मां पल्लू रो परकोटो बणांवती
म्हं शरणागत हुंवतों
बापू कैंवतों टिंगर
धरती माथै बौझ हैं
म्हं सुबकतों मां चुचकारती,
गळती म्हं करतों
मां मनावती
बात बात म्हं खिजतों
मनावणां मां करती
टेम लदगों
कद बड़ा होगा??
ठा नीं पड़्यों
आज पीड़ घणीं
सांझ री बगत
भींत माथै टंग्योड़ी
बापू री फोटू देख
म्हारों हिवड़ों फाट्यों
म्हं बोल्यों
बापू म्हं धरती माथै
आजै भी बोझ हूं
पण बापड़ी लाद्या फिरै हैं
म्हारें कान मांय पैचाणीं
सी आवाज़ आई
बेटा धरती बापड़ी कै करें ?
धरती "मां" हुवै !
म्हं आंसू पूंछतों
बी सूं पैली
"मां " री आवाज आई
बेटा दूध ल्याऊ !
आज ठा पड़्यों
मां "मां" ही हुवै
कै जळम दैवणी
अर कै जळमभौम !
- जितेन्द्र कुमार बोयल
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