जीवन में हर रिश्ता बन है जाता।
माँ बाप कोई और नहीं बन पाता।
माँ बाप होते हैं भगवान् का रूप।
उनसे ही बनता हमारा स्वरूप।
माँ बाप के त्याग व समर्पण को भुलाया नहीं जाता।
कोई इन्हें ठुकराता तो कोई इन्हें गले है लगाता।
माँ बाप आज सिसकियां है भरते।
अपने ही घर में खुलकर जी नहीं सकते।
जब होते हैं बच्चे छोटे तो माँ बाप लगते बड़े प्यारे।
जब बच्चे हुए बड़े तो माँ बाप फिरते
बेसहारे।
पोता पोती से प्यार भी खूब जताते।
पर खुलकर उनसे बात भी नहीं कर पाते।
यूँ तो पोता पोती होते इन्हें बड़े प्यारे।
क्या करे अब बदल गई दुनियाँ और इसके नजारे।
आज श्रवण कुमार बड़ी मुश्किल से है मिलता।
जिन माँ बाप को है मिलता उनका बुढ़ापा सुख में है बीतता।
- विनोद वर्मा

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