आपकी और मेरी आस्था
अलग-अलग हो सकती है।
मगर किसी एक की आस्था को
शून्य बता देना सबसे बड़ी मूर्खता है।
आपके और मेरे विचार
अलग-अलग हो सकते हैं।
मगर किसी एक के विचार को
शून्य बता देना अहंकारपूर्ण है।
लेखक की दृष्टि
निष्पक्षता से भरी,
और कलम की स्याही
पाठक की होनी चाहिए।
- दीपक कोहली

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