मुझे फर्क नहीं पड़ता कि,
मैं किसी के दिल की धड़कन हूं या प्यार,
या बहुत गहरा घाव हूंँ मैं।
क्योंकि मैं जानती हूंँ,
अपने परिवार वालों के लिए,
खून का बहाव हूंँ मैं।
अगर कोई मुझसे रूठा है तो,
मुझे खाक फर्क नहीं पड़ता है।
पर किसी अपने के रूठने पर,
मेरा दिल भी रोता है।
अपनों की कीमत साथ रहने पर समझ लो,
नहीं तो रोना पड़ता है।
किसी के कहने पर,
अपनों के दिल कभी मत दुखाना,
नहीं ज्यादातर धोखा उसी को झेलना पड़ता है।
अपनों की कीमत समझ लो,
नहीं तो चीजों के खो जाने पर,
उनकी बड़ी याद आती है,
और उनकी कीमत भी समझ में आ ही जाती है।
- राघवी त्रिपाठी
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