साहित्य चक्र

14 August 2023

दास्तां आजादी की



वैर विरोध, वैमनस्यता के कारण
दो सौ साल से परतंत्र था भारत
सहन किया अंग्रेजों का शोषण
हर भारतवासी का दिल था आहत

मनमानी करते थे हर शासक
चारों ओर अराजकता थी व्याप्त
अंग्रेजों ने तब जाल बिछाया
देख आपसी रंजिश पर्याप्त

हिंदू-मुस्लिम का कराया भेद
सोने की चिड़िया था तब देश
सोने चांदी के भंडार देख
आये लुटेरे बदल कर भेष

जकड़ लिया भारत मां को दरिंदों ने
गुलामी की जंजीरों में
न जाने कहां से आ गई दासता
मजबूत हाथों की लकीरों में

भूल कर सब व्यापक अंतर्द्वंद
हर भारतवासी ने किया संघर्ष
कूदे रणभूमि में रणबांकुरे
हर चुनौती को स्वीकारा सहर्ष

माताओं ने अपने लाल अर्पण किए
बहनों ने दिए अपने प्रिय भाई
वीरांगनाओं ने अपने वीर दिए
तब 15 अगस्त को आजादी पाई

अखंडता भारत की रहेगी सदा
न इसे खंडित कोई कर पाएगा
बहादुरी, बलिदान की अद्भुत मिसाल
यह तिरंगा अविच्छिन्न लहराएगा

- वसुंधरा धर्माणी


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