साहित्य चक्र

04 August 2023

तुम्हारी ही तरह



वे कहते हैं हत्या करना एक खराब बात है
फिर वे बताते हैं किस रंग के कपड़े
पहन कर आते हैं हत्यारे
उनकी दाढ़ी कैसी होती है
उनकी रोटी का तवा होता है किस कदर उल्टा
कपड़े और बोली तक से वे बता देते हैं
कि ऐसे ही होते हैं हत्यारे
फिर वे देखते हैं सुन रहे लोगो की आंखों में
आंखों में झांक कर वे फिर बताते हैं
कि हत्यारे पहचाने जा सकते हैं
अपनी इबादत के समय भी,
वे जब भी इस मुल्क के लिए दुआ मांगे
तुम उन्हें देखना कड़ी नजर से और
जान लेना कि वे तुमसे कितना अलग हैं.
वे तुम्हारे बच्चो के सिर पर दुआ का
हाथ फेरते हुए बुदबुदाते हैं एक ऐसी अबूझ भाषा
जो तुम बिल्कुल नहीं जानते हो.
फिर वे कहते हैं कि जो कुछ भी तुम नहीं जानते,
उससे बहुत श्रेष्ठ है तुम्हारी संस्कृति,
धर्म और रिवाज जिन्हे नहीं जानते तुम,
वे कर सकते हैं किसी भी तरकीब से तुम्हारी हत्या.
वे जो तुम्हें बता रहे हैं कि हत्या करना एक खराब बात है
अपने विश्लेषण में हैं इतने बारीक कि
वे ले जायेंगे तुम्हे इतिहास के किसी अनाम टीले पर
और बताएंगे कि तुम्हे पहली बार यहीं पर मारा था हत्यारों ने
हत्यारे जो अब घुस आए हैं तुम्हारे बच्चो के स्कूलों में,
राशन की कतारों में, मतदाता सूचियों में,
उन्हें बसों, रेलों और सड़कों की
रोज खपती भीड़ में गुम मत होने दो
जीवन के बेस्वाद अनुभव से है
उनका भी मन तुम्हारी ही तरह खट्टा,
पर तुम पहचानो उन्हें
वे तुम्हारी ही तरह ऊब कर पसर जाते हैं
कहीं भी आधी फिक्र और आधी जाग में गड्डमड्ड हो कर
तुम अपनी नींद के भीतर भी रहना उनसे सावधान.
हत्यारों ने साझा कर लिया तुम्हारे हिस्से की हवा,
धूप, जमीन और थकान
जीवन की किसी अभाषिक मार की
बिलबिलाहट से आ निकलते हैं उनके भी आंसू यदाकदा
अब उन्हें भी तुम्हारी तरह रातों को नींद नहीं आती.
वे हत्यारे हैं जो रो रहे हैं तुम्हारे ही दुख में तुमसे लिपट कर
वे तुम्हारे ही बुजुर्गों को सड़क पार करा रहे हैं
तुम्हारे ही घर में सुबह का दूध बाटने आते हैं हत्यारे
वे तुम्हारे ही उत्सवों में डूब गए हैं हँसी से लबालब
वे जो हत्यारे हैं वे अब करने लगे हैं तुमसे बहुत बहुत प्रेम
तुम उन्हे यह बार-बार याद दिलाते रहो
कि यहां के नहीं हो तुम, कहीं और से आए हो तुम हत्यारे!
वे जो कहते हैं हत्या करना एक खराब बात है
यह बात वह तब तक बताते रहते हैं
जब तक कि सुन रहे लोगो की
आंखों में हत्या का खून न उतर आए
वे गुस्से से चबाने न लगे अपनी स्मृतियों के नाखून
वे जो यह सब बताते रहते हैं जानते हैं
कि लोगों में हत्या कर देने का जुनून पैदा करना है एक आसान कला.
और हत्या करना है एक बहुत खराब बात.
यह सब कह कर
वे बहुत आसानी से धो लेते हैं
समकालीन हर हत्या से अपना हाथ
और इशारों में बता देते हैं कि
वे जो हत्यारे हैं वे धोते हैं उल्टी हथेलियां.

- वीरू सोनकर


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