मानव व सभी जीवों के हित में सोचो !
मानव सर्वोपरि है |
ए ! चेतना ! की अदालत है,
न तो अंँधी, न ही बहरी और न ही गूंँगी ,
जन ही वकील जन ही जज,
फैसला अपना सब को सुनकर, सुनाती,
जन में , एक नई क्रांति लाती,
मानव की सुरक्षा सर्वोपरि ,
कब तक खूनी खेल खेलोगे ?
परमाणु बम हथियार बनाकर,
माँ तड़प रही है, हाल बेहाल, झड़प रहे हैं नौनिहाल,
तरस रहे हैं दो वक्त की रोटी के लिए लाल,
जितना धन खर्च कर रहे हो इन पर , उतना ही करते जन पर,
होती खुशहाली सब के मुख पर ,
समय है जाग जाओ !
सभी जीवों का अस्तित्व है खतरे में,
अपील है संपूर्ण संसार से,
बचा लो! मानव जाति व सभी को,
ना रखो! किसी से बैर , गुज़ारिश है अखिलजन से ,
सीख लो ! , हर किसी के साथ में जी! लो! और जीने दो!
एक दूसरे के साथ ख़ुशियांँ बांँट लो!
हँस कर एक दूजे का दु :ख बांँट लो !
एक दूसरे को मिलकर गले लगा लो!
फिर ना मिलेगा ! मानव! जीवन,
सिद्धांत ऐसा बनाओ ! जो सब के हित में हो!
हर किसी का कल्याण हो ! ऐसा लक्ष्य रखो!
ऐसी नींव स्थापित करो! जो मानव की हित में हो,
मानव व सभी जीवों के हित में सोचो !
मानव सर्वोपरि है।
- चेतना प्रकाश चितेरी
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